Brahma Kumaris essence of murli for today in Hindi - Aaj ki Murli - BapDada - Madhuban -
“मीठे बच्चे – इन आँखों से जो कुछ देखते हो उसे भूलना है, सब शरीरधारियों को भूल अशरीरी बाप को याद करने का अभ्यास करो।”
प्रश्नः- तुम बच्चों का मुख ज्ञान से मीठा होता, भक्ति से नहीं – क्यों?
उत्तर:- क्योंकि भक्ति में भगवान को सर्वव्यापी कह दिया है। सर्वव्यापी कहने से बाप और वर्से की बात खत्म हो गई है इसलिए वहाँ मुख मीठा नहीं हो सकता। अभी तुम बच्चे प्यार से बाबा कहते हो तो वर्सा याद आ जाता है, इसलिए ज्ञान से मुख मीठा हो जाता। दूसरा – भक्ति में खिलौनों से खेलते आये, परिचय ही नहीं था तो मुख मीठा कैसे हो।
गीत:- ओम् नमो शिवाए…
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) ईश्वरीय मत पर एक दो को सुख देना है। किसी को भी दु:ख नहीं देना है। बाप समान सुख-दाता बनना है।
2) इन शरीरों से मोह निकाल नष्टोमोहा बनना है। सपूत बच्चा बन निरन्तर बाप को याद करने का पुरुषार्थ करना है।
वरदान:-
सब कुछ बाप हवाले कर संगमयुगी बादशाही का अनुभव करने वाले अविनाशी राजतिलक अधिकारी भव l
आजकल की बादशाही या तो धन दान करने से मिलती है या वोटों से मिलती हैं लेकिन आप बच्चों को स्वयं बाप ने राजतिलक दे दिया। बेपरवाह-बादशाह – यह कितनी अच्छी स्थिति है। जब सब कुछ बाप के हवाले कर दिया तो परवाह किसको होगी? बाप को। लेकिन ऐसे नहीं कि थोड़ा-थोड़ा कहीं अपनी अथॉरिटी को या मनमत को छिपाकर रखा हो। अगर श्रीमत पर हैं तो बाप हवाले हैं। ऐसे सच्चे दिल से सब कुछ बाप हवाले करने वाले डबल लाइट, अविनाशी राजतिलक के अधिकारी बनते हैं।
स्लोगन:-
एक-एक वाक्य महावाक्य हो, कोई भी बोल व्यर्थ न जाए तब कहेंगे मास्टर सतगुरू।
Comments