top of page
Writer's pictureShiv Baba, Brahma Kumaris

BK murli today in Hindi 5 Aug 2018 - Aaj ki Murli


Brahma kumaris murli today in Hindi -BapDada -Madhuban -05-08-18 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज: 07-12-83 मधुबन

श्रेष्ठ पद की प्राप्ति का आधार - "मुरली"

आज मुरलीधर बाप अपने मुरली के स्नेही बच्चों को देख रहे हैं कि कितना मुरलीधर बाप से स्नेह है और कितना मुरली से स्नेह है। मुरली के पीछे कैसे मस्त हो जाते हैं। अपनी देह की सुध-बुध भूल देही बन विदेही बाप से सुनते हैं। जरा भी देहधारी स्मृति की सुध-बुध नहीं। इस विधि से मस्त हो कैसे खुशी में नाचते हैं। स्व्यं को भाग्य-विधाता बाप के सम्मुख पदमापदम भाग्यवान समझ रुहानी नशे में रहते हैं। जैसे-जैसे यह रुहानी नशा, मुरलीधर की मुरली का नशा चढ़ जाता है तो अपने को इस धरनी और देह से ऊपर उड़ता हुआ अनुभव करते हैं। मुरली की तान से अर्थात् मुरली के साज़ और राज़ से मुरलीधर बाप के साथ अनेक अनुभवों में चलते जाते। कभी मूलवतन, कभी सूक्ष्मवतन में चले जाते, कभी अपने राज्य में चले जाते। कभी लाइट हाउस, माइट हाउस बन इस दु:खी अशान्त संसार की आत्माओं को सुख-शान्ति की किरणें देते, रोज़ तीनों लोकों की सैर करते हैं। किसके साथ? मुरलीधर बाप के साथ। मुरली सुन-सुनकर अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूलते हैं। मुरलीधर की मुरली के साज़ से अविनाशी दुआ की दवा मिलते ही तन तन्दरुस्त, मन मनदुरुस्त हो जाता है। मस्ती में मस्त हो बेपरवाह बादशाह बन जाते हैं। बेगमपुर के बादशाह बन जाते हैं। स्वराज्य-अधिकारी बन जाते हैं। ऐसे विधि पूर्वक मुरली के स्नेही बच्चों को देख रहे थे। एक ही मुरली द्वारा कोई राजा, कोई प्रजा बन जाता है क्योंकि विधि द्वारा सिद्धि होती है, जितना जो विधिपूर्वक सुनते उतना ही सिद्धि स्वरुप बनते हैं।एक हैं विधिपूर्वक सुनने वाले अर्थात् समाने वाले। दूसरे हैं नियम पूर्वक सुनने, कुछ समाने, कुछ वर्णन करने वाले। तीसरों की तो बात ही नहीं। यथार्थ विधिपूर्वक सुनने और समाने वाले स्वरुप बन जाते हैं। उन्हों का हर कर्म मुरली का स्वरुप है। अपने आप से पूछो - किस नम्बर में हैं? पहले वा दूसरे में? मुरलीधर बाप का रिगार्ड अर्थात् मुरली के एक-एक बोल का रिगार्ड। एक-एक वरशन (महावाक्य) 2500 वर्षो की कमाई का आधार है। पदमों की कमाई का आधार है। उसी हिसाब प्रमाण एक वरदान मिस हुआ तो पदमों की कमाई मिस हुई। एक वरदान खजानों की खान बना देता है। ऐसे मुरली के हर बोल को विधिपूर्वक सुनने और उससे प्राप्त हुई सिद्धि के हिसाब-किताब की गति को जानने वाले श्रेष्ठ गति को प्राप्त होते हैं। जैसे कर्मो की गति गहन है वैसे विधिपूर्वक मुरली सुनने समाने की गति भी अति श्रेष्ठ है। मुरली ही ब्राह्मण जीवन की साँस (श्वाँस) है। श्वाँस नहीं तो जीवन नहीं - ऐसी अनुभवी आत्माएं हो ना। अपने आपको रोज़ चेक करो कि आज इसी महत्व पूर्वक, विधि पूर्वक मुरली सुनी? अमृतवेले की यह विधि सारा दिन हर कर्म में सिद्धि स्वरुप स्वत: और सहज बनाती है। समझा।नये-नये आये हो ना। तो लास्ट सो फास्ट जाने का तरीका सुना रहे हैं। इससे फास्ट चले जायेंगे। समय की दूरी को इसी विधि से गैलप कर सकते हो। साधन तो बापदादा सुनाते हैं जिससे किसी भी बच्चे का उल्हना रह न जाये। पीछे क्यों आये वा क्यों बुलाया... लेकिन आगे बढ़ सकते हो। आगे बढ़ो श्रेष्ठ विधि से श्रेष्ठ नम्बर लो। उल्हना तो नहीं रहेगा ना। रिफाइन रास्ता बता रहे हैं। बने बनाये पर आये हो। निकले हुए मक्खन को खाने के समय पर आये हो। एक मेहनत से तो पहले ही मुक्त हो। अभी सिर्फ खाओ और हज़म करो। सहज है ना। अच्छा!ऐसे सर्व विधि सम्पन्न, सर्व सिद्धि को प्राप्त करने वाले, मुरलीधर की मुरली पर देह की सुध-बुध भूलने वाले, खुशियों के झूले में झूलने वाले, रुहानी नशे में मस्त योगी बन रहने वाले, मुरलीधर और मुरली का रिगार्ड रखने वाले, ऐसे मास्टर मुरलीधर, मुरली वा मुरलीधर स्वरुप बच्चों को बापदादा का साकारी और आकारी दोनों बच्चों को स्नेह सम्पन्न याद-प्यार और नमस्ते।पार्टियों के साथ अव्यक्त बापदादा की मुलाकात1. सदा एक बाप की याद में रहने वाली, एकरस स्थिति में स्थित रहने वाली श्रेष्ठ आत्मायें हो ना! सदैव एकरस आत्मा हो या और कोई भी रस अपनी तरफ खींच लेता है? कोई अन्य रस अपनी तरफ खींचता तो नहीं है ना? आप सबको तो है ही एक। एक में सब समाया हुआ है। जब है ही एक, और कोई है नहीं। तो जायेंगे कहाँ। कोई काका, मामा, चाचा तो नहीं है ना। आप सबने क्या वायदा किया? यही वायदा किया है ना कि सब कुछ आप ही हो। कुमारियों ने पक्का वायदा किया है? पक्का वायदा किया और वरमाला गले में पड़ी। वायदा किया और वर मिला। वर भी मिला और घर भी मिला। तो वर और घर मिल गया। कुमारियों के लिए मां-बाप को क्या सोचना पड़ता है। वर और घर अच्छा मिले। तुम्हें तो ऐसा वर मिल गया जिसकी महिमा जग करता है। घर भी ऐसा मिला है, जहाँ अप्राप्त कोई वस्तु नहीं। तो पक्की वरमाला पहनी है? ऐसी कुमारियों को कहा जाता है समझदार। कुमारियां तो हैं ही समझदार। बापदादा को कुमारियों को देखकर खुशी होती है क्योंकि बच गयीं। कोई गिरने से बच जाए तो खुशी होगी ना। माताएं जो गिरी हुई थी उनको तो कहेंगे कि गिरे हुए को बचा लिया लेकिन कुमारियों के लिए कहेंगे गिरने से बच गई। तो आप कितनी लक्की हो। माताओं का अपना लक है, कुमारियों का अपना लक है। मातायें भी लकी हैं क्योंकि फिर भी गऊपाल की गऊएं हैं।2. सदा मायाजीत हो? जो मायाजीत होंगे उनको विश्व कल्याणकारी का नशा जरूर होगा। ऐसा नशा रहता है? बेहद की सेवा अर्थात् विश्व की सेवा। हम बेहद के मालिक के बालक हैं, यह स्मृति सदा रहे। क्या बन गये, क्या मिल गया, यह स्मृति रहती है! बस, इसी खुशी में सदा आगे बढ़ते रहो। बढ़ने वालों को देख बापदादा हर्षित होते हैं।सदा बाप के याद की मस्ती में मस्त रहो। ईश्वरीय मस्ती क्या बना देती है? एकदम फर्श से अर्श निवासी। तो सदा अर्श पर रहते हो या फर्श पर क्योंकि ऊंचे ते ऊंचे बाप के बच्चे बने, तो नीचे कैसे रहेंगे। फर्श तो नीचे होता है। अर्श है ऊंचा, तो नीचे कैसे आयेंगे। कभी भी बुद्धि रुपी पांव फर्श पर नहीं, ऊपर। इसको कहा जाता है ऊंचे ते ऊंचे बाप के ऊंचे बच्चे। यही नशा रहे। सदा अचल अडोल सर्व खजानों से सम्पन्न रहो। थोड़ा भी माया में डगमग हुए तो सर्व खजानों का अनुभव नहीं होगा। बाप द्वारा कितने खजाने मिले हुए हैं, उन खजानों को सदा कायम रखने का साधन है, सदा अचल अडोल रहो। अचल रहने से सदा ही खुशी की अनुभूति होती रहेगी। विनाशी धन की भी खुशी रहती है ना। विनाशी नेतापन की कुर्सी मिलती है, नाम-शान मिलता है तो भी कितनी खुशी होती है। यह तो अविनाशी खुशी है। यह खुशी उसे रहेगी जो अचल-अडोल होंगे।सभी ब्राह्मणों को स्वराज्य प्राप्त हो गया है। पहले गुलाम थे, गाते थे मैं गुलाम, मैं गुलाम.. अब स्वराज्यधारी बन गये। गुलाम से राजा बन गये। कितना फर्क पड़ गया। रात दिन का अन्तर है ना। बाप को याद करना और गुलाम से राजा बनना। ऐसा राज्य सारे कल्प में नहीं प्राप्त हो सकता। इसी स्वराज्य से विश्व का राज्य मिलता है। तो अभी इसी नशे में सदा रहो हम स्वराज्य अधिकारी हैं, तो यह कर्मेन्द्रियां स्वत: ही श्रेष्ठ रास्ते पर चलेंगी। सदा इसी खुशी में रहो कि पाना था जो पा लिया.. क्या से क्या बन गये। कहाँ पड़े थे और कहाँ पहुँच गये।अव्यक्त बापदादा के महावाक्यों से चुने हुए प्रश्न-उत्तरप्रश्न:- पुरुषार्थ का अन्तिम लक्ष्य कौनसा है? जिसका विशेष अटेन्शन रखना है?उत्तर:- अव्यक्त-फरिश्ता होकर रहना - यही पुरूषार्थ का अन्तिम लक्ष्य है। यह लक्ष्य सामने रखने से अनुभव करेंगे कि लाइट के कार्ब में मेरा यह लाइट का शरीर है। जैसे व्यक्त, पाँच तत्वों के कार्ब में है, ऐसे अव्यक्त, लाइट के कार्ब में है। लाइट का रुप तो है, लेकिन आसपास चारों ओर लाइट ही लाइट है। मैं आत्मा ज्योति रूप हूँ-यह तो लक्ष्य है ही। लेकिन मैं आकार में भी कार्ब में हूँ।प्रश्न:- हर कार्य करते हुए किस स्मृति को विशेष बढ़ाओ तो निराकारी स्टेज सहज बन जायेगी?उत्तर:- हर कार्य करते हुए स्मृति रहे कि मैं फरिश्ता निमित्त इस कार्य अर्थ पृथ्वी पर पाँव रख रहा हूँ, लेकिन मैं हूँ अव्यक्त देश का वासी, मैं इस कार्य-अर्थ पृथ्वी पर वतन से आया हूँ, कारोबार पूरी हुई, फिर वापस अपने वतन में। इस स्मृति से सहज ही निराकारी स्टेज बन जायेगी।प्रश्न:- साकार स्वरूप के नशे की पाइंटस के साथ-साथ किस अनुभव में रहने से ही साक्षात्कार मूर्त बन सकेंगे?उत्तर:- जैसे यह स्मृति में रहता है कि मैं श्रेष्ठ आत्मा हूँ, मैं ब्राह्मण हूँ, मैं शक्ति हूँ। इस स्मृति से नशे और खुशी का अनुभव होता है। लेकिन जब अव्यक्त स्वरुप में, लाइट के कार्ब में स्वयं को अनुभव करेंगे तब साक्षात्कार मूर्त बनेंगे क्योंकि साक्षात्कार लाइट के बिना नहीं होता है। तो आपके लाइट रूप के प्रभाव से ही उनको दैवी स्वरुप का साक्षात्कार होगा।प्रश्न:- वर्तमान समय के प्रमाण आपका कौन सा स्वरूप चाहिए? अभी कौन सा पार्ट समाप्त हुआ?उत्तर:- वर्तमान समय के प्रमाण आप सबका ज्वालामुखी स्वरूप चाहिए। साधारण स्वरूप, साधारण बोल नज़र न आयें, अनुभव करें कि यह देवी मेरे प्रति क्या आकाशवाणी करती है। अब आपका गोपी-पन का पार्ट समाप्त हुआ। जब आप शक्ति रूप में रहेंगे तो आप द्वारा सबको अनुभव होगा कि यह कोई अवतार हैं - यह कोई साधारण शरीरधारी नहीं हैं। अवतार प्रगट हुए हैं। महावाक्य बोले और प्राय:लोप। अभी की स्टेज व पुरुषार्थ का लक्ष्य यह होना चाहिए।प्रश्न:- निमित्त बने हुए मुख्य सर्विसएबुल, राज्यभागय की गद्दी लेने वाले अनन्य रत्नों की सेवा क्या है?उत्तर:- वे लाइट हाउस मिसल घूमते और चारों ओर लाइट देते रहेंगे। एक अनेकों को लाइट देंगे। स्थूल कारोबार से उपराम होते जायेंगे। इशारे में सुना, डायरेक्शन दिया और फिर अव्यक्त वतन में। अभी जिम्मेवारियाँ और सर्विस का विस्तार तो चारों ओर और बढ़ेगा। भिन्न-भिन्न प्रकार की जो सर्विस हो रही है, वह बढ़ेगी।प्रश्न:- चक्रवर्ती महाराजा कौन बनते हैं, उनकी निशानियां सुनाओ।उत्तर:- जो अभी चक्रधारी हैं वही चक्रवर्ती महाराजा बनेंगे। जिसमें लाइट का भी चक्र हो और सेवा में प्रकाश फैलाने वाला चक्र भी हो, तब ही कहेंगे - चक्रधारी। ऐसा चक्रधारी ही चक्रवर्ती बन सकता है। आपके लाइट का रुप और लाइट का क्राउन ऐसा कॉमन हो जाये जो चलते - फिरते सबको दिखाई दे कि यह लाइट के ताजधारी हैं।प्रश्न:- किस अभ्यास से शरीर के हिसाब-किताब हल्के हो जायेंगे, शरीर को नींद की खुराक मिल जायेगी?उत्तर:- अव्यक्त लाइट रूप में स्थित होने का, शरीर से परे होने का अभ्यास हो तो 2-4 मिनट की अशरीरी स्थिति से शरीर को नींद की खुराक मिल जायेगी। शरीर तो पुराने ही रहेंगे। हिसाब-किताब भी पुराना होगा ही। लेकिन लाइट-स्वरुप के स्मृति को मजबूत करने से हिसाब-किताब चुक्त करने में लाइट रुप हो जायेंगे, इसके लिए अमृतवेले विशेष यह अभ्यास करो कि मैं अशरीरी और परमधाम का निवासी हूँ, अथवा अव्यक्त रुप में अवतरित हुआ हूँ।

प्रश्न:- मायाजीत बनने का सहज साधन क्या है?

उत्तर:- मायाजीत बनने के लिए अपनी बुराईयों पर क्रोध करो। जब क्रोध आये तो आपस में नहीं करना, बुराईयों से क्रोध करो, अपनी कमजोरियों पर क्रोध करो तो मायाजीत सहज बन जायेंगे।

प्रश्न:- गांव वालों को देख बापदादा विशेष खुश होते हैं क्यों?

उत्तर:- क्योंकि गांव वाले बहुत भोले होते हैं। बाप को भी भोलानाथ कहते हैं। जैसे भोलानाथ बाप वैसे भोले गांव वाले तो सदा यह खुशी रहे कि हम विशेष भोलानाथ के प्यारे हैं। अच्छा।वरदान:-साइलेन्स की शक्ति द्वारा नई सृष्टि की स्थापना के निमित्त बनने वाले मास्टर शान्ति देवा भवसाइलेन्स की शक्ति जमा करने के लिए इस शरीर से परे अशरीरी हो जाओ। यह साइलेन्स की शक्ति बहुत महान शक्ति है, इससे नई सृष्टि की स्थापना होती है। तो जो आवाज से परे साइलेन्स रूप में स्थित होंगे वही स्थापना का कार्य कर सकेंगे इसलिए शान्ति देवा अर्थात् शान्त स्वरूप बन अशान्त आत्माओं को शान्ति की किरणें दो। विशेष शान्ति की शक्ति को बढ़ाओ। यही सबसे बड़े से बड़ा महादान है, यही सबसे प्रिय और शक्तिशाली वस्तु है।

स्लोगन:- हर आत्मा वा प्रकृति के प्रति शुभ भावना रखना ही विश्व कल्याणकारी बनना है।

0 views

Related Posts

See All

आज की मुरली 3 Dec 2018 BK murli in Hindi

BrahmaKumaris murli today in Hindi Aaj ki gyan murli Madhuban 03-12-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन' 'मीठे बच्चे - ज्ञान और...

आज की मुरली 2 Dec 2018 BK murli in Hindi

BrahmaKumaris murli today in Hindi Aaj ki gyan murli Madhuban 02-12-18 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज: 05-03-84 मधुबन...

आज की मुरली 1 Dec 2018 BK murli in Hindi

BrahmaKumaris murli today in Hindi Aaj ki gyan murli Madhuban 01-12-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन ''मीठे बच्चे - तुम सबको...

Comments


bottom of page