top of page
Writer's pictureShiv Baba, Brahma Kumaris

BK murli today in Hindi 25 July 2018


Brahma Kumaris murli today in Hindi - BapDada - Madhuban - 25-07-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन''

मीठे बच्चे - भोलानाथ बाबा आये हैं भक्तों को भक्ति का फल देने, उन्हें अगम-निगम का भेद सुनाकर मुक्ति-जीवनमुक्ति का वर्सा देने''

प्रश्न: 21 जन्मों के लिए राजाई पद की प्राप्ति किन बच्चों को होती है? प्रजा में कौन जाते हैं?

उत्तर: जो मातेले बन बाप पर पूरा-पूरा बलिहार जाते हैं उन्हें राजाई पद प्राप्त होता है और जो सौतेले हैं, बलिहार नहीं जाते हैं वो 21 जन्म ही प्रजा में चले जाते हैं। तुम श्रीमत पर चल अपने ही योगबल से राजाई का तिलक लेते हो। यहाँ हथियार आदि की बात नहीं। तुम्हें बुद्धियोग बल से मायाजीत-जगतजीत बनना है।

गीत:- भोलेनाथ से निराला....

ओम् शान्ति।देखो, क्या कहते हैं? भक्तों की रक्षा करने वाला। तो जरूर भक्त कोई आ़फत में आये हुए हैं। भक्तों का रखवाला। रक्षा किसकी होती है? जो आ़फत में फँसा हुआ है। इन भक्तों का रक्षक शिवबाबा है। भक्तों को भक्ति का फल जरूर मिलता है। मेहनत तो करते हैं ना। कायदा कहता है पुरुषार्थ से प्रालब्ध मिलती है। अब इस दुनिया में पुरुषार्थ कराने वाले सब हैं आसुरी सम्प्रदाय। वास्तव में पुरुषार्थ कराने वाला चाहिए कोई अच्छा। सच्चा पुरुषार्थ सिर्फ एक भोलानाथ बाप ही कराते हैं। जिस्मानी लौकिक माँ, बाप, टीचर सभी हद का पुरुषार्थ कराते हैं। बेहद की नॉलेज कोई दे न सके। भल कोई बैरिस्टर-जज बनेंगे फिर दूसरे जन्म में नयेसिर पुरुषार्थ करना पड़े। बैरिस्टर तो कायम नहीं रहेंगे। प्रालब्ध तो कुछ बनी नहीं। गुरू भी करके कुछ सिखलाते हैं, शास्त्र सुनाते हैं परन्तु वह भी अल्पकाल का सुख मिला। प्रालब्ध तो कुछ बनी नहीं। फिर दूसरे जन्म में गुरू करना पड़े। यह भोलानाथ है सतगुरू। सतगुरू हमेशा सत्य ही बोलता है। वही आकर सत्य कथा सुनाते हैं। यह है सतगुरू की मत जिससे मुक्ति-जीवनमुक्ति मिलती है। यह है नर को नारायण बनाने की मत। भोलानाथ अगम-निगम, आदि-मध्य-अन्त का राज़ बैठ बताते हैं। और कोई मुक्तिधाम, जीवनमुक्तिधाम (स्वर्ग) को जानते ही नहीं। मुक्तिधाम का मालिक है परमपिता परमात्मा, जो परमधाम में रहने वाला है। अब बच्चों को मत मिलती है। बाबा ने बार-बार समझाया है कि यह बाप-टीचर-गुरू है। अगर कृष्ण भगवान् था तो क्या उसने सिर्फ मुरली बजाई? बस! श्रीकृष्ण को बाप-टीचर-सतगुरू भी कोई नहीं कहेंगे। अब बाबा जबकि सच्चा रास्ता बताते हैं तो फिर झूठा छोड़ देना चाहिए। गुरू शुरू हुए हैं द्वापर से। सतयुग-त्रेता में गुरू होते नहीं। माता गुरू ने ज्ञान अमृत पिलाए स्वर्ग बनाया फिर वहाँ गुरू की दरकार नहीं। अब देखो - तुम बच्चों को कितनी अच्छी मत देता हूँ। सबको युद्ध के मैदान में बाबा ने खड़ा किया है कि 5 विकारों पर जीत पहनो और फिर ऐसे श्रीकृष्ण समान देवता बनो। हम जानते हैं - यह श्रीकृष्ण मायाजीत बन जगतजीत अर्थात् जगत का प्रिन्स बना। (श्रीकृष्ण का चित्र हाथ में उठाए समझाना) तुम बच्चियां जानती हो कि हम युद्ध के मैदान पर हैं। मायाजीत-जगतजीत बनना है। जैसे कृष्ण जो फिर नारायण बना फिर उनके साथ और भी सारी राजधानी थी तो वह सब जरूर युद्ध के मैदान में होंगे, जो माया पर जीत पाते होंगे। 5 हजार वर्ष पहले यह श्रीकृष्ण भी अपने अन्तिम जन्म में युद्ध के मैदान में थे। वैसे अब यह भी युद्ध के मैदान में हैं। तुम भी युद्ध के मैदान में हो। 5 विकारों पर जीत पाकर तुमको यह बनना है। इसको कहा जाता है नारायणी नशा। मायाजीत-जगतजीत बनना है। कितनी सहज बात है! सिर्फ एक द्रोपदी तो नहीं थी। सब मातायें द्रोपदियां हैं। सबको सतयुग में नंगन होने से बचाते हैं। वहाँ कोई विकार में नहीं जाते। कहेंगे - भला तब बच्चे कैसे पैदा होंगे? अरे, वह तो पवित्र दुनिया है। तुम सन्यासी लोग घरबार छोड़ते हो तो फिर दुनिया खत्म हो जाती है क्या? दुनिया तो बढ़ती रहती। सन्यासी जानते हैं पवित्रता अच्छी है। विकारों का सन्यास तो अच्छा है। सन्यास करने वालों को सन्यास न करने वाले माथा टेक गुरू बनाते हैं। उस सच्चे सतगुरू द्वारा यह मातायें गुरू बनती हैं, जिन्हों की ही विजय माला बनी हुई है। बाबा कहते हैं - बच्चे, तुम पढ़कर पद पाओ। अब बाप ने युद्ध के मैदान में खड़ा किया है - श्रीकृष्ण जैसा बनाने के लिए। उनकी सारी राजधानी है। प्रिन्स-प्रिन्सेज तो होंगे ना। अभी तो न राजा-महाराजा कहला सकते, न प्रिन्स-प्रिन्सेज। अब तुमको बाप की दैवी मत मिलती है। अब माताओं को ज्ञान-कलष मिला है। यह बच्चियां अमृत पिलाए असुरों को देवता बनाती हैं। देवतायें पुरानी दुनिया पर थोड़ेही राज्य करेंगे। नई दुनिया भी बन रही है। तो बच्चे, अब जल्दी-जल्दी करो। एक तो है विकारों का बंधन, दूसरा फिर है कर्मबन्धन। उनसे छूटने लिए श्रीमत पर चलना पड़े। बाबा कहते हैं - मुझे याद कर अशरीरी बनो। ऐसे नहीं कि आत्मा परमात्मा में मिल एक हो जाती है। न कोई ज्योति ज्योत समाया है, न समाने ही हैं। आत्मा समा जाए तो जड़ हो जाए। आत्मा तो अविनाशी है। शरीर को विनाशी कहा जाता है। आत्मा मेरे साथ योग लगाकर पवित्र बनती है। फिर शरीर भी पवित्र मिलेगा। आत्मा पवित्र हो जायेगी फिर यह शरीर ख़लास हो जायेगा। फिर पवित्र तत्वों से पवित्र शरीर बनेंगे। यह शरीर पूजन लायक नहीं बनते। पूज्य तो सिर्फ देवतायें ही हैं। उन पर फूल चढ़ा सकते हैं। उन्हों को श्री श्री अर्थात् श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ कहा जाता है। श्री श्री दो बार क्यों कहते हैं? क्योंकि सूर्यवंशी लक्ष्मी-नारायण हैं ऊंच ते ऊंच, उनकी आत्मा और शरीर दोनों पवित्र हैं। उन्हों को 16 कला सम्पूर्ण कहेंगे। चन्द्रवंशी हैं 14 कला तो चन्द्रवंशी को सिर्फ श्री कहेंगे। लक्ष्मी-नारायण को ऊंच टाइटिल मिलता है - श्री श्री लक्ष्मी, श्री श्री नारायण। वह है महाराजा-महारानी और राम-सीता हैं राजा-रानी। नम्बरवार जो जैसा बनता है उनको ऐसा टाइटिल मिलता है। यहाँ भी महाराजायें और राजायें हैं। बड़े को महाराजा कहा जाता है। राजायें महाराजाओं के आगे सिर झुकायेंगे। महाराजा पहले हैं। राजा पीछे हैं। तो अब श्रीमत पर चलना है। श्री श्री जगत गुरू। रूद्र माला है ना। जगत का मालिक भी वह है। टीचर भी वह है तो गुरू भी वह है। ऐसे बाबा को याद करना पड़े। कहते हैं - बंधन है कोई छुड़ावे। (तोते का मिसाल) अरे, भगवान् कहते हैं अब मैं तुमको लेने आया हूँ, तुम सिर्फ अंगुली पकड़ो। वह जो कहे सो करो, पवित्र तो जरूर बनना पड़े। इस कब्रिस्तान को क्या याद करना है। रहना भल यहाँ है परन्तु सिर्फ बुद्धियोग वहाँ लगाना है। इसको कहा जाता है शान्तिधाम, सुखधाम को याद करना। नष्टोमोहा भी बनना है। वह है पतियों का पति, बापों का बाप, गुरूओं का गुरू। तो ऐसा (श्रीकृष्ण) बनने लिए मेहनत करनी पड़े। कल्प पहले भी पुरुषार्थ किया था और सतयुग की राजधानी स्थापन हुई थी। फिर हो रही है। इसमें पवित्र रहना है। पति जो सेवा कहे वह तुम करो बाकी सिर्फ पवित्र रहना है। पवित्र नहीं बनेंगे तो वैकुण्ठ का मालिक नहीं बनेंगे। अब बाप आकर तुम बच्चों को स्वर्गवासी बनाते हैं। पतितों को पावन करने वाला भी वह है। जगत का मालिक भी वह है।अब तुम बच्चियाँ ज्ञान धन से मनुष्यों को देवता बनाओ। यह तो नॉलेज है। बुद्धि में कितनी रोशनी आ गई है। और कोई को यह नॉलेज नहीं। सब दर-दर धक्के खाते रहते हैं। यहाँ हमको बाबा ने कितना साइलेन्स में बिठा दिया है। बाबा कहते - मरने लायक हो तो भी बैठकर सुनो। ज्ञान अमृत मुख में हो, शिवबाबा की याद हो तब प्राण तन से निकलें। फिर अन्त मती सो गति हो जायेगी। नहीं तो न विकर्म विनाश होंगे, न मोह जीत बनेंगे। मुफ्त भक्ति का फल गंवा देंगे। सब भक्त हैं ना, माया के बंधन में फँसे हुए हैं। रखवाला है भोलानाथ शिव। रक्षा करने आये हैं तो उनकी राय पर चलना है। श्रीकृष्ण के कुल में जाना है। श्रीकृष्ण है फुल पास, सम्पूर्ण चन्द्रमा। जब चन्द्रवंशियों का समय आता है तो वह अपना राज्य ले लेते हैं। तो नापास क्यों होना चाहिए? फुल पास होना है तो पुरुषार्थ करो। डरने का काम नहीं। निर्भय-निर्वैर बनना है। समझाना तो पड़ेगा ना। जो कहते हैं भगवान् सर्वव्यापी है उन्होंने ही भारत को ऐसी दुर्दशा में लाया है। भगवान् तो एक ही भोलानाथ है, जो सब भक्तों का रखवाला है। कृष्ण जो पूज्य था सो अब पुजारी है। अब कृष्ण की आत्मा यहाँ है। अब कुछ समझो। बहुत बड़ी लॉटरी है। घोड़े दौड़ है। हमको दौड़ना है बुद्धियोग से। जितना हम दौड़ेंगे उतना जल्दी बाबा के पास पहुँचेंगे। विकर्म विनाश होंगे। बाबा ने बार-बार समझाया हैं - हम युद्ध के मैदान में खड़े हैं। मनुष्य कहेंगे हथियार आदि कहाँ हैं - जो सारी सृष्टि पर विजय पायेंगे? (बाबा ने एक्ट कर दिखाई) हम बुद्धियोग बल से मायाजीत-जगतजीत बन रहे हैं। हम नेष्ठा में बैठे हैं अर्थात् शिवबाबा की याद में हैं। बुद्धि वहाँ लटकी हुई है। पतियों के पति ने कहा है - पतिव्रता बनना, और कोई को याद नहीं करना। योग लगाते-लगाते परिपक्व अवस्था को पाना है। कन्या भी पति को याद करती है ना। वह तो हैं देहधारी। परमात्मा तो अशरीरी है, उनको बुद्धि से ही याद कर सकते हैं। देह-अभिमान तोड़ देही-अभिमानी बन जायेंगे। बुद्धि में चक्र तो फिरता रहता है। हम अपने स्वर्गधाम जरूर पधारेंगे। सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी फिर वैश्य, शूद्र वंशी बनेंगे। फिर बाबा आकर शूद्र से ब्राह्मण बनायेंगे। ऐसे-ऐसे अपने से बात करनी है। बच्चे लोग बगीचों में जाकर पढ़ते हैं। तुम भी एकान्त में बैठ शिवबाबा को याद करो। हमारा पुराना हिसाब-किताब चुक्तू होगा फिर हम राज्य करेंगे। अभी हम युद्ध के मैदान में है। फिर हम भारत पर अटल-अखण्ड सुख-शान्ति का राज्य करेंगे। वी आर एट वार........ हम सब लड़ाई के मैदान पर हैं। यह है सारी योगबल की बात। इनमें तकलीफ तो कोई नहीं। सिर्फ बाबा की श्रीमत पर चलना है। फिर आटोमेटिकली राजाई का तिलक लग जायेगा। वरदान मिल जाता है - आयुश्वान भव, पुत्रवान भव। वहाँ धन आदि सब अकीचार रहता है। पहले से साक्षात्कार होता है कि बच्चा आने वाला है। वहाँ मुख का प्यार होता है। विकार की बात ही नहीं है। वह है ही निर्विकारी दुनिया। श्रीकृष्ण देखो - कितना फर्स्टक्लास मीठा है! अब ऐसा बनना है। तुमको तो पटरानी बनना है, मीरा तो सिर्फ भजन गाती थी उनको भगवान् थोड़ेही मिला, वह तो है ही भक्ति मार्ग। मीरा भी अभी कहाँ न कहाँ है। उसने भी ज्ञान लिया होगा, अगर पक्की भक्तिन होगी। हम भी द्वापर से भक्ति करते आये हैं ना। बुद्धि से समझना है - शिवबाबा मैं आपकी हूँ। आप से पूरा वर्सा लूंगी। मैं आप पर बलिहार जाती हूँ। तो बाबा भी 21 बार बलिहार जायेंगे। अगर बलिहार नहीं जायेंगे, सौतेले बनेंगे तो 21 बार प्रजा में आयेंगे। बाबा कहते हैं - तुम मेरे को याद करो तो हम मदद भी करेंगे। मदद तो जरूर अपने बच्चों को ही करेंगे, दूसरे को क्यों करेंगे! अच्छा!मात-पिता बापदादा का मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति याद, प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।

धारणा के लिए मुख्य सार:

1) माया पर जीत पाकर हमें श्रीकृष्ण समान जगतजीत बनना है। इस युद्ध के मैदान में सदा विजयी बनना है। हार नहीं खानी है।

2) श्रीमत से स्वयं को विकारों के बंधन और कर्मबन्धन से मुक्त करना है। अशरीरी बनने का अभ्यास करना है। बुद्धियोग की दौड़ी लगानी है।

वरदान: बैलेन्स की विशेषता को धारण कर सर्व को ब्लैसिंग देने वाले शक्तिशाली, सेवाधारी भव l

अभी आप शक्तिशाली आत्माओं की सेवा है सर्व को ब्लैसिंग देना। चाहे नयनों से दो, चाहे मस्तकमणी द्वारा दो। जैसे साकार को लास्ट कर्मातीत स्टेज के समय देखा - कैसे बैलेन्स की विशेषता थी और ब्लैसिंग की कमाल थी। तो फालो फादर करो - यही सहज और शक्तिशाली सेवा है। इसमें समय भी कम, मेहनत भी कम और रिजल्ट ज्यादा निकलती है। तो आत्मिक स्वरूप से सबको ब्लैसिंग देते चलो।

स्लोगन: विस्तार को सेकण्ड में समाकर ज्ञान के सार का अनुभव कराना ही लाइट-माइट हाउस बनना है।

0 views

Related Posts

See All

आज की मुरली 3 Dec 2018 BK murli in Hindi

BrahmaKumaris murli today in Hindi Aaj ki gyan murli Madhuban 03-12-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन' 'मीठे बच्चे - ज्ञान और...

आज की मुरली 2 Dec 2018 BK murli in Hindi

BrahmaKumaris murli today in Hindi Aaj ki gyan murli Madhuban 02-12-18 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज: 05-03-84 मधुबन...

आज की मुरली 1 Dec 2018 BK murli in Hindi

BrahmaKumaris murli today in Hindi Aaj ki gyan murli Madhuban 01-12-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन ''मीठे बच्चे - तुम सबको...

Opmerkingen


bottom of page