ब्रह्माकुमार अनिल द्वारा लिखा गया उनका ही 21 साल का अनुभव। यह है 7 मुख्य पॉइंट्स ।
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ज्ञान मार्ग में इन आधारों से २१ वर्षों से चल रहा हूँ - साररूप में कुछ विशेष पॉइंट्स :*
१) जब से पहली मुरली पढ़ी है तब से बाबा व ईश्वरीय ज्ञान पर १००% निश्चय हैं , थोड़ा भी संशय के कारण डगमग नहीं हुआ ।
२) माया वा परिस्थिति का कैसे भी पेपर आया उसे परमात्म निश्चय बल से पार किया ।
३) स्वयं को ज्ञान मंथन व स्वदर्शन चक्र में सदा बिजी रखा जिससे व्यर्थ से बचा रहा । तन, मन और धन की सेवा का सदा बैलेंस रखा ।
४) सेवा केंद्र से सदा संपर्क में रहा और बाबा के कमरे में रोज हाजिरी दी । मुरली एक दिन भी मिस नहीं की । बाबा के कार्य व मुरली के प्रति पूर्ण आदर रहा ।
५) संगदोष से स्वयं को बचाता रहा । एक बाबा के ही संग में रमण किया । ब्राह्मण जीवन की मुख्य धारणाओं को दरकिनार नहीं किया ।
६) जब से ज्ञान में आया दूसरों को देखने के बजाय स्वयं और पढ़ाई पर ही फोकस अथवा अटेंशन दिया। किसी के गुण अवगुण में नहीं अटका । अपने पुरुषार्थ और बाबा को ही देखा, ब्राह्मण परिवार के संस्कारों के टकराव में नहीं फ़ंसा ।
७) आखिर में सबसे महत्वपूर्ण बात, उमंग उत्साह को कभी कम नहीं होने दिया और दूसरों में भी उमंग उत्साह भरने का प्रयत्न करता रहा ।
ओम शांति .
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