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  • 23 May 2018 BK murli today in Hindi - Aaj ki Murli

    Brahma Kumaris murli today in Hindi - Aaj ki Murli - BapDada - madhuban - 23-05-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन "मीठे बच्चे - शिवबाबा निष्काम नम्बरवन ट्रस्टी है, उसे तुम अपना पुराना बैग-बैगेज ट्रान्सफर कर दो तो सतयुग में तुम्हें सब नया मिल जायेगा" प्रश्नः- बाप को किन बच्चों की हर प्रकार से सम्भाल करनी पड़ती है? उत्तर:- जो निश्चयबुद्धि बन अपना पूरा-पूरा समाचार बाप को देते हैं, बाप से हर कदम पर डायरेक्शन लेते हैं - ऐसे बच्चों का बाप को बहुत ख्याल रहता है। बाबा कहते - मीठे बच्चे, कभी भी श्रीमत में संशय नहीं आना चाहिए। संशय में आया तो माया बहुत नुकसान कर देगी। तुम्हें लायक बनने नहीं देगी। गीत:- दर पर आये हैं.... ओम् शान्ति। मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों ने गीत सुना। बच्चे उनको कहा जाता है जो बाप के बनते हैं। बाप ने समझाया है - यह अन्तिम मरजीवा जन्म, जीते जी बाप का बनना है। यह तो बच्चे जानते हैं, श्रीमत गाई हुई है। श्रीमद् भगवानुवाच। उस गीता में कृष्ण का नाम डाल दिया है। परन्तु पहले शिवबाबा, फिर ब्रह्मा, फिर कृष्ण। तो श्रीमत कृष्ण की नहीं कहेंगे, वह दैवी गुणों वाला मनुष्य है। मनुष्य को पतित-पावन नहीं कहा जाता। पतितों को पावन बनाने वाला एक ही बाप है, जिसकी श्रीमत पर तुम चल रहे हो। निराकार परमात्मा सभी धर्म वालों का पिता है। कृष्ण को सभी नहीं मानेंगे। क्रिश्चियन, क्राइस्ट को फादर मानते हैं, न कि कृष्ण को क्योंकि क्रिश्चियन हैं क्राइस्ट की मुख वंशावली। शिवबाबा आकर तुमको अपना बनाते हैं। कहते हैं - सिर हथेली पर रखकर बाप का बने हैं - उनके डायरेक्शन पर चलने के लिए। बच्चों को उन्हें मत देने की दरकार नहीं है। वह खुद मत देने वाला है। ऐसे नहीं, यह क्यों कहते? नहीं, यह तो सब बच्चे हैं। शिवबाबा नामीग्रामी है। वह जो मत देंगे, जो कुछ करेंगे, राइट करेंगे। इस साकार (ब्रह्मा) से भी जो कुछ करायेंगे वह राइट ही होगा क्योंकि करनकरावनहार है। उनको भी यह मत देते हैं कि यह करो। तुम्हारा कनेक्शन है शिवबाबा से। कोई का भी अवगुण नहीं देखना है, श्रीमत पर चलना है। शिवबाबा तो है निराकार, साक्षी। उनका यहाँ घर है नहीं। तुम यहाँ पराये घर में रहते हो। फिर स्वर्ग में जाकर अपने घर में रहेंगे। शिवबाबा कहते हैं - मैं तो नहीं रहूँगा। मैं तो संगम पर थोड़े टाइम के लिए आता हूँ। तुम हो सच्चे-सच्चे रूहानी सैलवेशन आर्मी। सुप्रीम बाप डायरेक्शन दे रहे हैं, हूबहू कल्प पहले मुआफिक। कल्प पहले जो डायरेक्शन दिये होंगे वही देंगे। दिन-रात गुह्य ते गुह्य बातें सुनाते रहते हैं। नया कोई समझ न सके। कराची से लेकर मुरली चलती आई है। पहले बाबा मुरली नहीं चलाते थे। रात दो बजे उठकर 10-15 पेज लिखते थे। शिवबाबा लिखवाते थे, फिर उसकी कापियाँ निकालते थे। भक्ति मार्ग के तो बड़े-बड़े किताब बनाते जाते हैं। वह फिर रखते हैं। तुम कितना रखेंगे क्योंकि जानते हैं यह सब विनाश होना है। चित्र आदि भी थोड़े समय के लिए हैं फिर यह दब जायेंगे। वहाँ न शास्त्र, न चित्र रहेंगे। फिर यह जो कुछ चल रहा है, कल्प बाद फिर होगा। शास्त्र आदि द्वापर से शुरू होंगे। जिनके लिए बाप समझाते हैं - इनसे परमधाम का रास्ता नहीं मिलता है। ग्रन्थ पहले बहुत छोटा था, दिन-प्रतिदिन बड़ा बनाते जाते हैं। वास्तव में शिवबाबा की जीवन कहानी बड़ी बनानी चाहिए। तुम बच्चे बाप की जीवन कहानी जानते हो। बाप समझाते हैं - मैं भक्ति मार्ग में क्या-क्या करता हूँ। भक्ति मार्ग में भी इन्श्योरेन्स करता हूँ। ईश्वर अर्थ मनुष्य दान करते हैं। कहते हैं ना इसने ईश्वर अर्थ किया है तब साहूकार घर में जन्म लिया है। भक्ति में धर्मात्मा बहुत होते हैं। बाबा कहते हैं मैं बच्चों को दूसरे जन्म में इसका अल्पकाल के लिए फल देता आया हूँ। अच्छा वा बुरा फल मिलता है ना। कितना बड़ा इन्श्योरेन्स हुआ। जो जैसे कर्म करते हैं उस अनुसार फल मिलता है। माया उल्टा कर्म कराती है, जिससे तुम दु:ख पाते हो। अब मैं तुमको ऐसे कर्म सिखलाता हूँ, जो कभी दु:ख नहीं होगा और वहाँ माया भी नहीं होती तो जो जितना अपने को इन्श्योर करे। शिवबाबा भी नम्बरवन ट्रस्टी है। दूसरे की आसक्ति जाती है, कोई ट्रस्टी किसका खाना खराब भी कर देते हैं। बाबा देखो कैसा ट्रस्टी है। कहते हैं यह सब कुछ बच्चों के लिए है। तुम्हारा सारा कनेक्शन शिवबाबा से है। बाप कहते हैं मैं सच्चा ट्रस्टी हूँ। मैं खुद सुख नहीं लेता हूँ, बच्चों को सारी राजधानी दे देता हूँ। यह बाबा भी कहते हैं - मैंने फुल इन्श्योर कर लिया है। तन-मन-धन सब बाबा की सर्विस में है। सिन्धी में एक कहावत है - "हथ जिसका हिंय पहला पुर सो पहुँचे...." (दाता समान हाथ हैं तो वह पहला नम्बर पहुंच जाते हैं) दो मुट्ठी देते हैं तो महल मिलते हैं। देखो, अभी मकान बना है, कोई ने एक रूपया भेजा - हमारी ईट लगा दो... अरे, तुमको सबसे अच्छा महल मिलेगा क्योंकि तुम गरीब हो। मैं हूँ ही गरीब निवाज़। गरीब का एक रूपया, साहूकार का 10 हज़ार। दोनों को एक ही मर्तबा मिल जाता है। साहूकार बहुत मुश्किल आते हैं। कन्यायें सबसे फ्री हैं। नम्बरवन देखो मम्मा गई। बाबा ने सब कुछ दिया फिर भी पहले लक्ष्मी फिर नारायण, कितना वन्डरफुल खेल है! कभी भी, किसी बात में संशय नहीं होना चाहिए। जरा भी संशय नहीं लाना चाहिए। बहुत मीठा बनना है। कदम-कदम पर श्रीमत लेनी है। नहीं तो माया बहुत नुकसान करा देती है। कितने बच्चों को डायरेक्शन देने पड़ते हैं। बाबा कहते हैं पूरा समाचार लिखो। बाबा हर प्रकार की सम्भाल करेंगे। बाबा को बहुत ख्याल रहता है - कहाँ यह बच्चा चढ़ जाए। पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना चाहिए। तुम मोस्ट बिलवेड गॉड फादरली स्टूडेन्ट हो। भगवानुवाच भी गाया हुआ है, परन्तु कृष्ण का नाम डाल दिया है। कृष्ण भी सब मनुष्यों से ऊंचा ठहरा। फर्स्ट नम्बर श्रीकृष्ण का नाम देते हैं, नारायण का क्यों नहीं? कृष्ण है छोटा सतोप्रधान। फिर युवा, वृद्ध अवस्था होती है। बालक ब्रह्म ज्ञानी समान कहते हैं। बच्चे से पाप नहीं होता है। कृष्ण का भी जन्म-दिन मनाते हैं, कृष्ण को द्वापर में ले गये हैं। यह सब बाप ही समझाते हैं। इस समय तुम ब्राह्मण हो उत्तम। तुम हो ईश्वरीय सन्तान। सतयुग में ईश्वरीय सन्तान नहीं कहलायेंगे। ईश्वर से जरूर स्वर्ग की प्राप्ति होगी। यह है तुम्हारा अति अमूल्य दुर्लभ जीवन। सभी का तो हो नहीं सकता। यह ड्रामा ही ऐसा बना हुआ है। जो कल्प पहले पढ़े थे, वही अब पढ़ रहे हैं। भगवान ने जरूर भगवान भगवती रचे हैं। परन्तु उन्हों को हम भगवान भगवती कह नहीं सकते क्योंकि गॉड इज़ वन। उस निराकार की सारी महिमा है। साकार की थोड़ेही महिमा होती है। लक्ष्मी-नारायण को निराकार ने ऐसा बनाया। तुम भी बाप द्वारा स्वर्ग के मालिक बन रहे हो। राजयोग सीख रहे हो। बरोबर गीता में राजयोग है। जब राजाई स्थापन हुई थी तो उस समय विनाश भी हुआ था। अभी है संगम। शिवबाबा आते हैं तो खेल पूरा करते हैं। फिर कृष्ण का जन्म होता है। भक्ति मार्ग में बहुत बड़े-बड़े मन्दिर बनाते हैं। उन मन्दिरों में पदमों की मिलकियत थी। अब तो सब लोप हो गये हैं। भक्ति मार्ग के शास्त्र पढ़ते-पढ़ते, यात्रा करते-करते, मन्दिर बनाते-बनाते, खर्चा करते-करते भारत कंगाल बन पड़ा है। अभी तुम जैसे मास्टर नॉलेजफुल हो गये हो। बाप ज्ञान का सागर, आनन्द का सागर, ब्लिसफुल है। यह सब बाप की ही महिमा है। बाप कहते हैं - भारत सबसे अच्छा तीर्थ स्थान है। परन्तु कृष्ण का नाम डालने से सारा मान खत्म कर दिया है। नहीं तो सब शिव के मन्दिर में फूल चढ़ाते। सबका सद्गति दाता एक है। आधाकल्प तुम प्रालब्ध भोग नीचे आते जाते हो, सबको तमोप्रधान बनना ही है। अब बाप कहते हैं जो बैग बैगेज हैं सब दो तो तुमको ट्रांसफर कर सतयुग में दे देंगे। हम खुद तो नहीं लेते हैं। मनुष्य तो अपने लिए करते हैं फिर कहते हैं हम निष्काम करते हैं। परन्तु निष्काम तो कोई कर नहीं सकता। हर चीज़ का फल जरूर मिलता है। मैं तो तुम बच्चों को अविनाशी ज्ञान-रत्न देता हूँ। तुम्हारे लिए ही वैकुण्ठ लाता हूँ। बच्चों को सावरन्टी का सोविनियर (सौगात) देता हूँ। तो वह लेने लिए लायक बनना चाहिए। स्वर्ग का मालिक बनना है। हथेली पर बहिश्त मिलता है। सेकण्ड में जीवन्मुक्ति अथवा सेकण्ड में बादशाही। दिव्य दृष्टि दाता शिवबाबा है। सेकण्ड में वैकुण्ठ में ले जाते हैं, इस साकार बाबा के हाथ में चाबी नहीं है। बाप कहते हैं मैं तुम बच्चों को राजाई देता हूँ। मैं राजाई नहीं करता हूँ। फिर तुम जब भक्ति मार्ग में जायेंगे तो तुमको दिव्य दृष्टि से बहलाऊंगा। कितना अच्छी रीति बाप समझाते हैं। बाबा कल्प-कल्प, कल्प के संगम पर एक ही बार आते हैं। बाकी इतने अवतार आदि सब गपोड़े हैं। यह शास्त्र हैं ही सब भक्ति मार्ग के। वह भी बनी बनाई बन रही अब कुछ बननी नाहि। जो कुछ होता है ड्रामा में नूँध है, इसको साक्षी होकर देखो। बाबा बहुत अच्छी रीति समझाते हैं - बच्चे, मैं तुम्हारा इन्श्योर मैगनेट हूँ। तुम्हारी एक पाई भी नहीं गँवाता हूँ। कौड़ी से तुमको हीरे तुल्य बनाता हूँ। यह सब शिवबाबा करते हैं इनके द्वारा। करनकरावनहार वह है। निराकार और निरंहकारी वह है। गॉड फादर कैसे बैठ पढ़ाते हैं। ऐसे नहीं कहते हैं चरणों में पड़ो। बाप ओबीडियन्ट सर्वेन्ट है। बाप कहते हैं जिनको मालिक बनाया वह पहले बहुत सुख भोगते हैं, अब दु:खी हुए हैं। सुख भी बहुत मिलता है। कोई धर्म को इतना सुख नहीं मिलता। ऐसे नहीं कह सकते कि भारतवासियों को क्यों? औरों ने क्या किया? अरे, इतने ढेर मनुष्य हैं, सब तो नहीं आ सकते हैं। ड्रामा बना हुआ है। भारत में ही आदि सनातन देवी-देवता धर्म था। भगवान ने आकर सच्चा राजयोग सिखाया था। बाप कहते हैं मैं फिर आया हूँ। तुमने 84 जन्म पार्ट बजाया अब फिर से घर वापिस जाते हैं। यह बहुत पुराना चोला हो गया है। सर्प का मिसाल। सन्यासी फिर कहते हैं आत्मा, परमात्मा में लीन हो जाती है। ऐसी अवस्था में रहते-रहते फिर शरीर छोड़ देते हैं। परन्तु ब्रह्म में लीन तो कोई होता नहीं। लेकिन उन्हों में भी कोई-कोई बहुत तीखे होते हैं। शान्त में बैठ शरीर छोड़ देते हैं। ब्रह्म तो बाबा नहीं है। यह उन बिचारों का भ्रम है। जैसे हिन्दुओं का यह भ्रम है कि हम हिन्दू धर्म के हैं। अरे, हिन्दू धर्म कहाँ से आया? वह तो हिन्दुस्तान का नाम है। सतयुग में एक ही धर्म था। अब तो देखो कितने धर्म हैं! कितनी भाषायें हैं! वहाँ तो भाषा ही एक होती है। कहते हैं वन गवर्मेन्ट हो परन्तु सभी गवर्मेन्ट वन कैसे होगी। ब्रदरहुड भी नहीं समझते, सर्वव्यापी कह देते तो फादर हुड हो गया फिर खुद फादर कह कर किसको बुलायेंगे। यह भी समझ की बात है ना। अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद, प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते। धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) किसी का भी अवगुण नहीं देखना है। एक शिवबाबा से कनेक्शन रख उनकी जो श्रीमत मिलती है उसे राइट समझ चलते रहना है। श्रीमत में कभी संशय नहीं उठाना है। 2) अपने तन-मन-धन को पूरा इन्श्योर करना है। कदम-कदम पर श्रीमत लेनी है। पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान देना है। वरदान:- नेचुरल अटेन्शन वा अभ्यास द्वारा नेचर को परिवर्तन करने वाले सिद्धि स्वरूप भव आप सबके निज़ी संस्कार अटेन्शन के हैं। जब टेन्शन रखना आता है तो अटेन्शन रखना क्या बड़ी बात है। तो अब अटेन्शन का भी टेन्शन न हो लेकिन नेचुरल अटेन्शन हो। आत्मा को न्यारा होने का नेचुरल अभ्यास है। न्यारी थी, न्यारी है फिर न्यारी बनेंगी। जैसे अभी वाणी में आने का अभ्यास पक्का हो गया है, ऐसे वाणी से परे, न्यारे होने का अभ्यास भी नेचुरल हो जाये तो न्यारेपन के शक्तिशाली वायब्रेशन द्वारा सेवा में सहज सिद्धि को प्राप्त करेंगे और यह नेचरल अभ्यास नेचर को भी बदल देगा। स्लोगन:- अशरीरी-पन की एक्सरसाइज और व्यर्थ संकल्पों के भोजन की परहेज करो तो एवरहेल्दी रहेंगे। #brahmakumaris #Hindi #bkmurlitoday

  • 5 May 2018 - BK murli today in Hindi

    5 May - Brahma Kumaris murli today in Hindi - Aaj ki Murli - BapDada - Madhuban - 'प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन "मीठे बच्चे - स्वयं की सम्भाल करने के लिए रोज़ दो बार ज्ञान स्नान करो। माया तुमसे भूलें कराती, बाप तुमको अभुल बनाते l "प्रश्नः-किस निश्चय वा पुरुषार्थ के आधार पर बाप की पूरी मदद मिलती है? उत्तर:-पहले पक्का निश्चय हो कि मेरा तो एक शिवबाबा दूसरा न कोई। साथ-साथ पूरी बलि चढ़े अर्थात् ट्रस्टी बन प्यार से सेवा करे। तो ऐसे बच्चे को बाप की पूरी पूरी मदद मिलती है। गीत:-हमें उन राहों पर चलना है... ओम् शान्ति।गीत में यह कौन कहते हैं? परमपिता परम आत्मा, ज्ञान का सागर कहते हैं - बच्चे, हम तुम्हें अभी जिस राह पर चला रहे हैं वा माया पर जीत पाने की जो मत अथवा राय दे रहे हैं, उसमें यह तो होगा ही - कोई गिरेंगे तो कोई उठते वा सम्भलते रहेंगे। सुरजीत और मूर्छित होते रहेंगे। सुरजीत होने लिए यह संजीवनी बूटी है। परमपिता परमात्मा की है ज्ञान बूटी। रामायण में भी कहानी है ना कि राम और रावण की युद्ध हुई, लक्ष्मण मूर्छित हो गया, हनूमान संजीवनी बूटी ले आया। अब वास्तव में रामायण तो पीछे बैठ बनाया है। ऐसी कोई बातें हैं नहीं, न कोई मनुष्यों की बनाई हुई गीता भगवान ने बैठ गाई है। बाप तो ज्ञान का सागर है। किसका ज्ञान? सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का ज्ञान देते हैं। जिसका ही मनुष्यों ने गीता शास्त्र बनाया है, उस पर नाम रख दिया है श्रीकृष्ण का। जैसे बाप की जीवन कहानी में अगर कोई बच्चे का नाम लिख दे तो क्या होगा! वैसे ही शिवबाबा ने जन्म दिया गीता को, उस गीता में कृष्ण का नाम डाल दिया है इसलिए अनर्थ हो गया है। गीता खण्डन होने से सभी मनुष्य आत्माओं का बुद्धियोग परमात्मा से टूट गया है। तो मनुष्य पवित्र कैसे बनें! इस योग अग्नि से ही हम पवित्र बनते हैं, न कि गंगाजल से। बाबा है ज्ञान का सागर। ज्ञान अमृत से मनुष्य को देवता बनाते हैं। बाकी अमृत पानी को नहीं कहा जाता है। यह है पढ़ाई। पढ़ाई माना नॉलेज। यह शास्त्र तो भारतवासियों ने द्वापर से बनाये हैं। मनुष्य कहते हैं शास्त्र अनादि हैं। हम कहते हैं ड्रामा ही अनादि है। परन्तु ऐसे नहीं कि यह कोई शास्त्र सतयुग से शुरू हुए हैं। यह सब अनादि है माना ड्रामा में नूँध है। द्वापर से लेकर मनुष्य लिखते ही आये हैं। अब बेहद के बाप ने अपनी सारी जीवन कहानी बताई है। कहते हैं सतयुग त्रेता में मेरा पार्ट नहीं है। सृष्टि ड्रामा अनुसार चलती रहती है। मेरा भी ड्रामा के अन्दर पार्ट नूँधा हुआ है। मैं ड्रामा के बंधन में बाँधा हुआ हूँ। सतयुग-त्रेता में मेरा पार्ट नहीं है। जैसे क्राइस्ट, बुद्ध आदि का सतयुग-त्रेता में पार्ट नहीं है। सब आत्मायें मुक्तिधाम में रहती हैं। ऐसे नहीं, देवी-देवताओं की भी सब आत्मायें उस समय आ जाती हैं। नहीं, वे भी धीरे-धीरे नम्बरवार आती हैं। फिर सतोप्रधान से बदल सतो, रजो, तमो स्टेजेस में आती हैं। फिर सूर्यवंशी ही चन्द्रंशी बनते हैं फिर वृद्धि होती जाती है। यह पूरा राज़ समझना है।तुम जानते हो जो अधूरा पवित्र बनेंगे उन्हें राज्य भी अधूरा मिलेगा। जो ज्ञान-योग में तीखे जायेंगे वे ही पहले राजे बनेंगे। यह राजधानी बन रही है। पूरा पुरुषार्थ करना है। शिवबाबा समझाते हैं - तुमको हीरे समान बनना है। मैं ज्ञान का सागर, शान्ति का सागर हूँ। तुमको फिर मास्टर ज्ञान सागर बनना पड़े। शान्ति का अर्थ एक दो से लड़ना नहीं है। सन्यासी समझते हैं प्राणायाम चढ़ा दें, यहाँ ऐसे नहीं है। बाबा रस्सी खींच लेते हैं। छोटी बच्चियों की भी बाबा रस्सी खींच लेते हैं तो ध्यान में चली जाती हैं। इसको कहा जाता है ईश्वरीय वरदान। भक्ति में भी साक्षात्कार होता है। यह दिव्य दृष्टि देना बाप के सिवाए और किसकी ताकत नहीं है। अब तो बाप सम्मुख है, कहते हैं भक्तों के पास भगवान को आना पड़ता है - माया की जंजीरों से लिबरेट करने। बाबा कहते हैं - मैं जानता हूँ, यह माया की युद्ध है, कभी चढ़ेंगे, कभी गिरेंगे। योग टूटता है तो मन्सा, वाचा, कर्मणा में भी भूलें होती हैं। परीक्षा सब पर आती है। कुछ भी माया का वार न हो, फिर तो शरीर ही छूट जाए। सम्पूर्ण कोई बना नहीं है। यह घुड़दौड़ है। राजस्व अश्वमेध यज्ञ कहते हैं। राजाई के लिए अश्व यानी रथ को शिवबाबा पर बलि चढ़ाना है अर्थात् बच्चा बन पूरी सेवा करनी है। ट्रस्टी बन फिर पुरुषार्थ करना है तो मदद भी मिलेगी। पक्का निश्चय चाहिए - मेरा तो एक शिव-बाबा दूसरा न कोई। मरना तो सबको है।परमपिता परमात्मा जो कि बाप-टीचर-सतगुरू है, उनसे अपना वर्सा लेने का हर एक को हक है। सबकी वानप्रस्थ अवस्था है। सबको इकट्ठा मरना है। जब आफ्तें आती हैं तो सब इकट्ठे मरते हैं ना। थोड़े बहुत गोले गिरेंगे तो मकान टूट पड़ेंगे। तो अभी सबका मौत है, इसलिए बच्चों को भी कमाई कराओ। यह है सच्ची कमाई। जो करेगा सो पायेगा। ऐसे नहीं, बाप कमाई करेगा तो बच्चों को मिल जायेगी। नहीं। बच्चों को भी यह सच्ची कमाई करानी है। यह हैं समझने की बातें। इसमें परहेज बहुत चाहिए। हम देवता बन रहे हैं तो कोई अशुद्ध वस्तु खा नहीं सकते हैं। कोई समझते हैं मछली खाने में पाप नहीं है, ब्राह्मणों को भी खिलाते हैं। सब रस्म-रिवाज ही उल्टा हो गया है। बाप कहते हैं बिल्कुल पवित्र बनना है। पहले ज्ञान चिता पर बैठना है। मन्सा में विकल्प कितने भी आयें परन्तु कर्मेन्द्रियों से कोई भी विकर्म नहीं करना। जब तुम बाबा के बनते हो तो माया की युद्ध शुरू हो जाती है। प्रजा बनने वालों से माया इतना टक्कर नहीं खाती है। माया-जीत जगत-जीत बनना है। प्रजा जगत-जीत नहीं बनती है। जगत-जीत माना सूर्यवंशी-चन्द्रवंशी बनना। मेहनत कर 3-4 वर्ष पवित्र रह फिर थप्पड़ खा लेते हैं। फिर चिट्ठी लिखते हैं - बाबा म़ाफ करना। यहाँ कायदे भी हैं। बच्चा बना तो सारे जीवन के पाप भी लिखने पड़े - धर्मराज शिवबाबा, इस जन्म में मैंने यह-यह पाप किये हैं तो आधा माफ हो जाता है। यह भी लॉ है। आगे जज के आगे सच बोलते थे तो सजा कम हो जाती थी। भूल करके लिखे नहीं तो 100 गुणा दण्ड हो जाता। बच्चों के लिए बहुत परहेज है। बाहर वालों के लिए इतनी नहीं है इसलिए डरते हैं। बेहद का बाप अथवा साजन जो सौभाग्यशाली बनाते हैं उनके बनते नहीं। भूलें तो होती हैं परन्तु आखरीन अभुल जरूर बनना है। यहाँ बहुत परहेज रखनी है। समर्थ का हाथ पकड़ा है तो बाप सम्भाल भी करेंगे। सौतेले बच्चों की थोड़े-ही करेंगे। सगे बहुत थोड़े हैं तो भी कितने बच्चे हैं जो बाबा को चिट्ठी लिखते हैं। कितनी पोस्ट रोज़ आती है। बाप का तो एक हाथ है, हरेक लिखे मुझे अलग पत्र लिखो... अभी तो बहुत वृद्धि होगी। इतनी बैग पोस्ट की और कोई की नहीं निकलती होगी। यह है ही गुप्त गवर्मेन्ट। अन्डरग्राउण्ड है। रिलीजोपोलिटीकल है। कोई हथियार आदि नहीं है। मंजिल ऊंची है। चढ़े तो चाखे... गिरे तो राजाई गँवाए प्रजा बन जाते हैं। समझा।तुम बच्चे जानते हो भारत जो हीरे मिसल था वह कौड़ी मिसल बन गया है। अभी तो तुम कहेंगे हम नर्क-वासी से स्वर्गवासी बनने का पुरुषार्थ करते हैं। हम सदा सौभाग्यशाली बनने आये हैं। बाबा पतित से पावन बना रहे हैं। फिर यह रावण राज्य नीचे चला जायेगा। यह चक्र फिरता है ना। रावण राज्य नीचे तो राम राज्य ऊपर आ जायेगा। अपने को बहुत सम्भालना भी है। सम्भाल वही सकेंगे जो रोज़ ज्ञान-स्नान करेंगे। रॉयल मनुष्य दिन में दो बारी स्नान करते हैं। यह भी अमृतवेले और नुमाशाम दो बारी ज्ञान-स्नान जरूर करना चाहिए। एक बारी एक घण्टा पढ़कर फिर दूसरा बारी मुरली को रिवाइज जरूर करना है। धारणा करनी और करानी है। बच्चों को, स्त्री को भी सच्ची कमाई करानी है। 21 जन्मों का राज्य-भाग्य लेना कोई मासी का घर नहीं है। समझा जाता है कौन-कौन तीखा पुरुषार्थ करते हैं। बीमार हो तो डोली में बिठाकर ले आना चाहिए। ज्ञान-अमृत मुख में हो तब प्राण तन से निकलें। अन्धा-बहेरा कोई भी कमाई कर सकता है। ज्ञान तो बड़ा सहज है। बाप से वर्सा लेना है। एक ही बार बाप सम्मुख आकर बादशाही देते हैं। बच्चे सुखी हुए तो बाप वानप्रस्थ में चले जाते हैं। बेहद का बाप सबको सुखी कर खुद परमधाम में जाए बैठ जाते हैं। फिर आत्मायें नम्बरवार वहाँ से आती रहती हैं। कोई को भेजते नहीं हैं। यह कहने में आता है लेकिन यह आटोमेटिकली ड्रामा चलता रहता है। अपने टाइम पर धर्म स्थापन करने आना ही है। तुम जानते हो हम ब्रह्मा वंशी ब्राह्मण हैं। शिव वंशी तो सारी दुनिया है। फिर जिस्मानी बाप हो गया ब्रह्मा। ब्रह्मा के बच्चे हम भाई-बहन ठहरे। अभी हम हैं ईश्वरीय धर्म के। सतयुग में होंगे देवी-देवता धर्म के। अब ईश्वर के पास जन्म लिया है। अभी हम उनके बन गये हैं। मनुष्य रचता को न जानने कारण, रचना के आदि-मध्य-अन्त को भी नहीं जानते हैं। उनको कहा जाता है नास्तिक, कौड़ी तुल्य। बरोबर अभी हम आस्तिक बने हैं तो हम हीरे तुल्य बन जाते हैं। रचता और रचना को जानने से हमको राजाई मिलती है। बाबा हमको वर्थ पाउण्ड बनाते हैं तो बनना चाहिए ना। सचखण्ड का बादशाह, सचखण्ड का मालिक बना रहा है। चमड़ापोश कहा जाता है। एक खुदा दोस्त की कहानी भी है। तो अब वह खुदा हमारा दोस्त है। खुदा दोस्त, अल्लाह अवलदीन और हातमताई का खेल सारा अभी का है। अच्छा!मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद, प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते। धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) सच्ची कमाई करनी और सबको करानी है। परीक्षायें वा तूफान आते भी कर्मेन्द्रियों से कोई भूल नहीं करनी है। माया-जीत जगत-जीत बनना है।2) देवता बनने के लिए खान-पान की पूरी परहेज रखनी है। कोई भी अशुद्ध वस्तु नहीं खानी है। दो बारी ज्ञान स्नान जरूर करना है। वरदान:-ब्राह्मण जीवन की विशेषता को जानकर उसे कार्य में लगाने वाले सर्व विशेषता सम्पन्न भव l ड्रामा के नियम प्रमाण संगमयुग पर हर एक ब्राह्मण आत्मा को कोई न कोई विशेषता मिली हुई है। चाहे माला का लास्ट दाना हो, उसमें भी कोई न कोई विशेषता है, तो ब्राह्मण जन्म के भाग्य की विशेषता को पहचानो और उसे कार्य में लगाओ। एक विशेषता कार्य में लगाई तो और भी विशेषतायें स्वत: आती जायेंगी, एक के आगे बिन्दी लगते-लगते सर्व विशेषताओं में सम्पन्न बन जायेंगे। स्लोगन:-मनमनाभव के मंत्र की सदा स्मृति रहे तो मन का भटकना बन्द हो जायेगा। #brahmakumaris #Hindi

  • 1 June 2018 BK murli today in English

    Brahma Kumaris murli today in English - 01/06/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban Sweet children, the drill to become bodiless is the number one drill. It is through this that there is dead silence in the atmosphere. The Father's direction is: Practise this drill. Question: Who can remain happy and in a stable stage amidst all the obstacles of the world? Answer: Those who are not concerned about any obstacles. There are many of your enemies who will create obstacles, accuse you and insult you, but you have to remember that it is only by being accused that you become Kalangidhar (one who is worshipped). It is said that Krishna saw the moon on the fourth night and this was why he was accused. However, you children are also accused a great deal at this time. At the end, you will say: O people of Bharat, look, you accused us a great deal and now we are becoming Kalangidhar. Om Shanti. Shiv Baba gives orders to you children. Shiv Baba says: I am the Drill Teacher, am I not? He says: May you become bodiless! Children, stabilise in your original religion. Manmanabhav, constantly remember Me alone. You know that there is now defamation of religion. It is mentioned in the Gita: Whenever there is extreme irreligiousness… We had been singing that verse for birth after birth. We were studying the Gita from the time the path of devotion began. We were worshipping Shiv Baba. That same Shiv Baba now says: Constantly remember Me alone. Maya once again cast a shadow over you. I have now come to enable you to conquer Maya. Therefore, become “Manmanabhav” because you have to return to My supreme abode. If it were Krishna, he would say: Madhyajibhav, remember the one in the middle. Remember Krishna in the land of Krishna. Krishna is not the Bestower of Knowledge. Shiva is that. It is Shiva who is worshipped. He is called the Supreme Soul, God. So, we souls have to go there and this is why Baba teaches us drill. This is the number one drill: Manmanabhav, may you become bodiless. All of you Brahmins remember Him. If a shudra were to sit here with other thoughts, he would spoil the atmosphere. When everyone remembers that One, the atmosphere becomes one of dead silence. For instance, when a person dies, there is dead silence. That is the impact created when a soul becomes bodiless. Therefore, Baba now says: I will take all of you souls back home with Me. Death takes just one soul. I am the Death of all Deaths. I have come to take everyone back and I come in the ordinary body of Brahma. I am the Seed of the human world, the Living Being. I spoke the Gita. Look, the urn is now placed on you, is it not? They show the gopis of Krishna with the urn. They say that Krishna broke an earthenware urn. What was that earthenware urn? The pot of vices that is on your head is broken and you are given the urn of the nectar of knowledge. However, otherwise, there isn't anything like that in the golden age. You are the gopis. The urn of poison that is on the gopis of Gopi Vallabh is broken and replaced with the urn of the nectar of knowledge. So a very good intellect is needed for this, because only then can there be imbibing. The Vallabh (the Father) of the gopis is Shiv Baba. Krishna cannot be called Vallabh. It is written that the gopis were abducted. The Father would not abduct anyone; that is not the law. Baba explains: When a mahatma says “Shivohum” tell him: On the one hand, you say that you are a mahatma, that is, a great soul, so then, why do you call yourself God, that is, why do you say, Shivohum? Great souls are pure souls. You have to explain this secret. This is called the righteous battle of knowledge. They have the dictates of the scriptures and you have shrimat. Baba says: I come when I have to teach you Raja Yoga. The whole play is based on Bharat. The people of Bharat have received the parts of the heroes and heroines. In fact, “Salutations to the mothers” is said to you mothers. Those people of the Congress Party refer to the earth when they say Mother. The earth is an element; it cannot be called mother. You are the mothers who live on this earth. “Salutations to the mothers” is said to you. Those people say: Salutations to the Mother, referring to the earth, and so that is worship of the elements. You children are now claiming your sovereignty with the power of yoga. You continue to make all the effort needed to become pure and claim the sovereignty. There will be victory for the side that has the all-powerful Almighty Authority in person. The praise of God is completely separate. He comes and teaches you the drill: Constantly remember Me alone. All the others are those who cause you sorrow. They become your enemies and create obstacles for you. This is nothing new. We are not concerned about the world. It is said of Krishna: It was because he saw the moon on the fourth night that he was insulted so much. Only those who are accused then become Kalangidhar. At the end, it will be said: O people of Bharat, you insulted us so much. Look, we are now becoming this. We are claiming the fortune of the kingdom. A lot has to be endured on a battlefield. So, you have to surrender yourselves to the One who gives you your fortune of the kingdom. Shiv Baba is explaining this. This Dada doesn't consider himself to be God. This is why Shiv Baba says: Children, this is in your parts every cycle. You too would say: Baba comes whenever there is defamation of religion. Baba has now come and we are receiving our inheritance from Baba. In the invitation letter, very good points are written about a limited inheritance from a physical father and the unlimited inheritance from the Father from beyond. Only from the unlimited Father is the unlimited inheritance received. Who gave Lakshmi and Narayan the unlimited inheritance? Baba gave it. All of these matters have to be understood. It is also in our parts for us to tolerate all this injustice. We are receiving the sovereignty for 21 births, and so we have to make effort. It is remembered: Son shows father, student shows teacher. This is now your real part. You can explain that He is your Father, Teacher and Satguru. He is the Seed of the human world, the Creator. He is the Father of all living beings. How can He be called omnipresent? The Father is the One who resides up above and this is why people remember Him when they experience sorrow. He comes when there is defamation of religion. Baba says: When the residents of Bharat, My birthplace, become unhappy I have to come. Bharat is the birthplace of God. No one else would be able to say these words. If all were God, Bharat would then be the birthplace of all. Baba says: I also take all the preceptors to the land of liberation. When they come to know that it is Baba who gives them liberation and that He takes birth in Bharat, Bharat will become a great pilgrimage place. Assuming that everyone does know about it, how would they come? Not everyone can come to Bharat. There isn't that much grain in Bharat. They will be very happy to hear: Oho! The birthplace of our Baba, who grants liberation to these gurus etc, is Bharat. They would recognise this from the knowledge. What else would they see? When another soul enters the body of a brahmin priest, it is from what he says that they recognise the soul. How could there be that recognition if the soul didn’t speak? When that soul speaks, they know that it truly is that soul. It is only when Shiv Baba gives you knowledge that you understand Shiv Baba is speaking. This one cannot give knowledge. No one except the Father can explain this. Sometimes, people say: We want to talk to Shiv Baba, but how can we recognise Him? They won't be able to understand anything. You should understand with your intellect that no one except Baba can give this knowledge. Look, in some places, some daughters are desperate to meet Shiv Baba even though they haven't seen Him. It is definitely His power that is pulling them; there is that pull. So, they are given visions of the one in a white costume. This is why Baba doesn't allow me to change my dress. So, you can tell from His knowledge. Children have different types of visions, but what is the benefit of those? You are only concerned with knowledge. No one else can give this knowledge. So all of this is an incognito part. He says: I, the soul, enter this one. Baba alone gives all this knowledge. I didn't know it before. Look how Baba performs wonders. He says: Make Me your Heir. I will serve you so much that even your child wouldn’t serve you as much. I will give you your fortune of the kingdom for 21 births. Nevertheless, if you don't make Me your Heir, it would be said to be your fortune. You daughters know that you have come here to claim your inheritance from Shiv Baba. You cannot see Shiv Baba or Paradise except in a divine vision. You are receiving very clear knowledge. Baba is teaching us Raja Yoga. The highest inheritance of all is the sovereignty of Paradise, and you only receive that by studying. No one else can teach you Raja Yoga. We are changing from ordinary man into Narayan. This Raja Yoga is taught at the end so that you can then become kings and queens in the golden age. The war with missiles is very well known. The deity religion was established through the Gita. At that time there were no other religions. Where did they all go? Destruction took place. This is an absolutely easy thing. You children can do a lot of service on the trains. At least subjects will be created. The whole train carriage will become your subjects. If they sit and listen, they will enjoy it a lot. You should have literature with you. Together with that, you should also have (a picture of) beloved Shri Krishna with you. Achcha.To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children.Essence for Dharna:1. In order to make your fortune for 21 births, make Shiv Baba your Heir. Show (reveal) the Father, Teacher and Satguru through your every deed.2. You are receiving clear knowledge. Therefore, don't have any desire for visions. The all-powerful Almighty Authority Father is with you in person. Therefore, don't be afraid of obstacles.Blessing:May you be a constantly powerful soul who performs spiritual actions with the awareness of your spiritual form.Brahmin life means a spiritual life which is as valuable as a diamond. With the awareness of this spiritual life and by remaining stable in your spiritual form, you will have no ordinary activity or perform ordinary actions. Whatever actions you perform will be spiritual because as is your awareness, so is your stage. Let it be in your awareness that you belong to the one Father and none other. The awareness of the Father will make you constantly powerful. Therefore, your every action will be elevated and spiritual.Slogan:Wear the right spectacles for self-progress and you will see everyone’s specialities. Sweet elevated versions of Mateshwari: What will the beginning of the world be like?Many people ask the question: How did God create the world? Which human being did He create at the beginning? They want to understand that one’s name and form. It is explained to them that God created the beginning of the world through the body of Brahma. First of all, He created the being, Brahma. The God who created the beginning of the world must definitely have played His part in the world. How did God play His part? First of all, God created the world and in that, He first of all created Brahma. Therefore, it was the Brahma soul that first became pure and who later became Shri Krishna. He carried out establishment of the deity world through that body. So, the creation of the deity world was carried out through the body of Brahma and so Adi Pita (First Father) of the deities is Brahma. Brahma becomes Shri Krishna and the final birth of that same Shri Krishna is the body of Brahma. The law of the world continues in this way. That same soul finishes the part of happiness and then plays the part of sorrow, and so, having passed through the rajo and tamo stages, the soul becomes a Brahmin from a shudra. So, we are the true Brahmins who are the clan of Brahma and so the clan of Shiva. The clan of Brahma is said to be of those who take the imperishable knowledge through Brahma and become pure. This proves that Adi Pita of this world is Brahma Baba. Achcha. #english #Murli #bkmurlitoday #brahmakumari

  • 13 May 2018 BK murli today in Hindi

    Brahma Kumaris murli today in Hindi - Aaj ki Murli - Avyakt BapDada - Madhuban - 13-05-18 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज: 10-11-83 मधुबन मुख्य भाई-बहनों की मीटिंग के समय अव्यक्त बापदादा के उच्चारे हुए मधुर अनमोल महावाक्य आज सर्व शक्तियों का सागर बाप शक्ति सेना को देख रहे हैं। हर एक के मस्तक बीच त्रिशूल अर्थात् त्रिमूर्ति स्मृति की स्पष्ट निशानी दिखाई देती है। शक्ति की निशानी त्रिशूल दिखाते हैं। तो हरेक त्रिशूलधारी शक्ति सेना हो ना। बापदादा और आप। यह त्रिमूर्ति सदा स्पष्ट रूप में रहती है वा कभी मर्ज, कभी इमर्ज होती है? बापदादा के साथ-साथ मैं श्रेष्ठ शक्तिशाली आत्मा हूँ, यह भी याद रहता है? इसी त्रिमूर्ति स्मृति से शक्ति में शिव दिखाई देगा। कई मन्दिरों में बापदादा के कम्बाइन्ड यादगार शिव की प्रतिमा के साथ उसी प्रतिमा में मनुष्य आकार भी दिखाते हैं। यह बापदादा का कम्बाइन्ड यादगार है। साथ-साथ शक्ति भी दिखाते हैं। तो इस त्रिमूर्ति स्मृति स्वरूप स्थिति से सहज ही साक्षात्कार मूर्त बन जायेंगे। अब सेवाधारी मूर्त, भाषण कर्ता मूर्त, मास्टर शिक्षक बने हो। अभी साक्षात मूर्त बनना है। सहज योगी बने हो लेकिन श्रेष्ठ योगी बनना है। तपस्वी बने हो, महातपस्वी और बनना है। आजकल सेवा कहो, तपस्या कहो, पढ़ाई कहो, पुरुषार्थ कहो, पवित्रता की सीमा कहो, किस लहर में चल रही है, जानते हो? सहज योगी के "सहज" शब्द की लहर में चल रही है। लेकिन लास्ट समय के प्रमाण वर्तमान मनुष्य आत्माओं को वाणी की नहीं लेकिन श्रेष्ठ वायब्रेशन, श्रेष्ठ वायुमण्डल, जिससे साक्षात्कार सहज हो जाए इसी की आवश्यकता है। अनुभव भी साक्षात्कार समान है। सुनाने वाले तो बहुत है जिन्हों को सुनाते हो वो भी सुनाने में कम नहीं। लेकिन कमी है साक्षात्कार कराने की। वह नहीं करा सकते। यही विशेषता, यही नवीनता, यही सिद्धि आप श्रेष्ठ आत्माओं में है। इसी विशेषता को स्टेज पर लाओ। इसी विशेषता के आधार पर सभी वर्णन करेंगे कि हमने देखा, हमने पाया। हमने सिर्फ सुना नहीं लेकिन साक्षात बाप की झलक अनुभव की। फलानी बहन वा फलाना भाई बोल रहे थे, यह अनुभव नहीं। लेकिन इन्हीं द्वारा कोई अलौकिक शक्ति बोल रही थी। जैसे आदि में ब्रह्मा को साक्षात्कार हुआ विशेष शक्ति का, तो क्या वर्णन किया! यह कौन था, क्या था! ऐसे सुनने वालों को अनुभव हो कि यह कौन थे? सिर्फ प्वाइंट्स नहीं सुनें लेकिन मस्तक बीच प्वाइंट आफ लाइट दिखाई दे। यह नवीनता ही सभी की पहचान की आंख खोलेगी। अभी पहचान की आंख नहीं खुली है। अभी तो दूसरों की लाइन में आपको भी ला रहे हैं। जैसे यह-यह हैं वैसे यह भी हैं। जैसे वह भी यह कहते हैं वैसे यह भी कहते हैं। यह भी करते हैं। लेकिन यह वो ही हैं जिसका हम आह्वान करते हैं, जिसका इन्तजार कर रहे हैं। अभी इस अनुभूति की आवश्यकता है। इसका साधन है सिर्फ एक शब्द को चेन्ज करो। सहज योगी की लहर को चेन्ज करो। सहज शब्द प्रवृत्ति में नहीं यूज़ करो। लेकिन सर्व सिद्धि स्वरूप बनने में यूज़ करो। श्रेष्ठ योगी की लहर, महातपस्वी मूर्त की लहर, साक्षात्कार मूर्त बनने की लहर, रूहानियत की लहर, अब इसकी आवश्यकता है। अब यह रेस करो। सन्देश कितनों को दिया, यह तो 7 दिन के कोर्स वालों का काम है। वो भी यह सन्देश दे सकते हैं। लेकिन यह रेस करो - अनुभव कितनों को कराया। अनुभव कराना है, अनुभवी बनाना है। यह लहर अभी चारों ओर होनी चाहिए। समझा। 84 का साल आ रहा है। 84 घण्टों वाली शक्ति मशहूर है। सभी देवियों की महिमा है। 84 में घण्टा तो बजायेंगे ना तब तो गायन हो, 84 का घण्टा है। अभी आदि-समान साक्षात्कार की लहर फैलाओ। धूम मचाओ। आप साक्षात बाप बनो तो साक्षात्कार आप ही हो जायेगा। अभी थोड़ा-थोड़ा अनुभव करते हैं लेकिन यह चारों ओर लहर फैलाओ। जैसे मेले की भी लहर फैलाते हो ना? मेले बहुत किये हैं, समारोह भी बहुत किये। अभी मिलन समारोह मनाओ। नये साल के लिए नया प्लैन बनाने आये हो। सबसे पहला प्लैन स्वयं को सर्व कमजोरियों से प्लेन बनाओ, तब तो साक्षात्कार होगा। अगर इस मीटिंग में यह प्लैन प्रैक्टिकल में आ जाए तो सेवा आपके चरणों में झुकेगी। अभी बापदादा की यह आश पूरी करनी है। आश अभी पूरी हुई नहीं है। मीटिंग तो हो जाती है। बापदादा के पास चार्ट तो सबका है ना। सिर्फ रिगार्ड रखने के कारण बापदादा कहते नहीं हैं। अच्छा - आज तो थोड़ा मिलने आये हैं, चार्ट बताने नहीं आये हैं। (दादी को) आपकी सखी (दीदी) कहाँ है? गर्भ में? निमित्त गर्भ में है लेकिन अभी भी सेवा की परिक्रमा दे रही है। जैसे ब्रह्मा बाप के साथ साकार स्वरूप में जगत अम्बा के बाद साथी रही। वैसे अभी भी अव्यक्त ब्रह्मा के साथ है। सेवा में साथीपन का पार्ट बजा रही है। निमित्त कर्मेन्द्रियों का बन्धन है लेकिन विशेष सेवा का बन्धन है। जैसे यज्ञ की स्थापना की कारोबार पहले विशेष रूप में जगत अम्बा ने सम्भाली। जगत अम्बा के बाद विशेष निमित्त रूप में इसी आत्मा (दीदी) की जवाबदारी रही। साथी भले और भी रहे लेकिन विशेष स्टेज पर और साकार ब्रह्मा के साथ पार्ट में रही। अभी भी ब्रह्मा बाप और दीदी की आपस में रूहरिहान, मनोरंजन और सेवा के भिन्न-भिन्न पार्ट चलते रहते हैं। नई सृष्टि की स्थापना में भी विशेष ब्रह्मा के साथ-साथ अनन्य आत्माओं का अभी जोर-शोर से पार्ट चल रहा है! जैसे साकार दीदी के विशेष संस्कार, सेवा के प्लैन को प्रैक्टिकल में लाने का, उमंग-उत्साह दिलाने का रहा। वैसे अभी भी वो ही संस्कार नई दुनिया की स्थापना के कार्य के अर्थ निमित्त बने हुए ग्रुप को और तीव्रगति देने का पार्ट चल रहा है। दीदी का विशेष बोल याद है? उमंग-उत्साह में लाने के लिए विशेष शब्द क्या थे? हमेशा यही शब्द रहे कि कुछ और नया करो। अभी क्या हो रहा है? बार-बार पूछती थी, नवीनता क्या लाई है? ऐसे भी अव्यक्त ब्रह्मा से बार-बार इसी शब्दों से रूहरिहान करती थी। एडवान्स पार्टी में भी उमंग-उत्साह ला रही है। अभी तक क्या क्या किया है, क्या हो रहा है। वो ही संस्कार प्रैक्टिकल में ला रही है। किसको भी बैठने नहीं देती थी ना। एडवान्स पार्टी को भी अभी स्टेज पर लाने का बाण भर रही है। कन्ट्रोलर के संस्कार थे ना। अभी एडवान्स पार्टी का कन्ट्रोलर है। सेवा के संस्कार अभी भी इमर्ज रूप में है। समझा! अभी दीदी कहाँ है? अभी तो विश्व का चक्कर लगा रही हैं। जब सीट ले लेंगी तो बता देंगे। अभी वह भी आपको सहयोग देने के बहुत बड़े-बड़े प्लैन्स बना रही है। अभी देरी नहीं लगेगी। अच्छा। ऐसे सदा श्रेष्ठ योगी, सदा महान तपस्वी मूर्त, साक्षात बाप बन बाप का साक्षात्कार कराने वाले चारों ओर "हमने पाया हमने देखा" इस प्राप्ति की लहर फैलाने वाले, ऐसे महान तपस्वी मूर्तों को देश-विदेश के सर्व स्नेही सेवा में मग्न रहने वाले सर्व बच्चों को बापदादा का याद-प्यार और नमस्ते। मीटिंग वालों से:- मीटिंग तो हो ही गई। मीटिंग होती है, विश्व को बाप के समीप लाने के लिए। सिर्फ सन्देश देने के लिए नहीं। समीप लाने के संग का रंग लगता है ना। जितना बाप के समीप आते हैं उतना संग का रंग लगता है। जहाँ सुनना है वहाँ कुछ सुनना होता - कुछ भूलना होता लेकिन जो समीप आ जाते वो बाप के समीप होने से रूहानी रंग में रंगे रहते हैं। तो अभी क्या सेवा है? समीप लाने की। सन्देश तो दे दिया। मैसेन्जर बनके मैसेज देने का पार्ट तो बजाया। लेकिन अभी क्या बनना है? शक्तियों को सदैव किस रूप में याद करते हैं? सब शक्ति सेना हो ना! शक्तियों को हमेशा माँ के रूप में याद करते हैं, पालना लेने के संकल्प से याद करते हैं। मैसेज तो बहुत दिया और अभी और भी देने वाले तैयार हो गये, अभी चाहिए पालना वाले। जो विशेष निमित्त हैं उन्हों का कार्य अभी हर सेकण्ड बाप की पालना में रहना और सर्व को बाप की पालना देना। जैसे छोटे बच्चे होते हैं तो सदा पालना में रहने के कारण कितने खुश रहते हैं। कुछ भी हो लेकिन पालना के नीचे होने के कारण कितने खुश रहते हैं। ऐसे आप सभी सर्व आत्माओं को प्रभु पालना के अन्दर चलने का अनुभव कराओ। वह समझें कि हम प्रभु की पालना के अन्दर चल रहे हैं। यह हमें प्रभु के पालना की दृष्टि दे रहे हैं। तो अभी पालना की आवश्यकता है। तो पालना करने वाले हो या मैसेन्जर हो? मैसेन्जर तो आजकल बहुत कहलाने लग पड़े हैं। मैसेन्जर बनना बहुत कामन बात है। लेकिन अभी जो भी आयें वह ऐसे अनुभव करें कि हम ईश्वरीय पालना के अन्दर आ गये। इसी को ही कहा जाता है सम्बन्ध में लाना। सभी अनन्य हैं ना। अनन्य अर्थात् जो अन्य न कर सकें वह करके दिखाने वाले। जो सब करते वो ही किया तो बड़ी बात नहीं। पालना का अर्थ है उन्हों को शक्तिशाली बनाना, उन्हों के संकल्पों को, शक्तियों को इमर्ज करना, उमंग-उत्साह में लाना। हर बात में शक्ति रूप बनाना। इसी रूप की पालना अब ज्यादा चाहिए। चल रहे हैं, लेकिन शक्तिशाली आत्मायें बनकर चलें वो अभी आवश्यक है। जो कोई नये भी आवें तो ईश्वरीय शक्ति की अनुभूति जरूर करें। वाणी की शक्ति की अनुभूति तो हो रही है लेकिन यहाँ ईश्वरीय शक्ति है, वह अनुभव कराओ। स्टेज पर आते हो तो याद रहता है - भाषण करना है, लेकिन यह ज्यादा याद रहे, भाषण निमित्त है, ईश्वरीय शक्ति की भासना देनी है। वाणी में भी ईश्वरीय शक्ति की भासना आवे। इसको कहा जाता है न्यारा-पन। स्पीच बहुत अच्छी की तो यह स्पीकर के रूप में देखा ना। यह ईश्वरीय अलौकिक आत्मायें हैं, इस रूप में देखें। यह महसूसता करानी है। यह भासना ही ईश्वरीय बीज डाल देती है। फिर वह बीज निकल नहीं सकता। एक सेकण्ड का भी किसको अनुभव हो जाता है तो वह अन्त तक मेहनत नहीं लेता। ईश्वरीय झलक का अनुभव जिसने आते ही किया उनका चलना, सेवा करना वह और होता है। जो सिर्फ सुनकर प्रभावित होते उनका चलना और होता है, जो सिर्फ प्यार में ही चलते रहते उनका चलना और है। भिन्न-भिन्न प्रकार हैं ना। तो अभी पहले स्वयं को सदा ईश्वरीय पालना में अनुभव करो तब औरों को अनुभव हो। सेवा में चल रहे हैं लेकिन सेवा भी पालना है। ईश्वरीय पालना में चल रहे हैं। सेवा शक्तिशाली बनाती है तो यह भी ईश्वरीय पालना है ना। लेकिन यह इमर्ज रहे। यह दृढ़ संकल्प करना चाहिए। अनन्य अर्थात् बाप समान सैम्पल। अच्छा- विदेशी बच्चों को याद-प्यार देते हुए सभी डबल विदेशी बच्चों को विशेष याद प्यार बापदादा पदमगुणा रिटर्न में दे रहे हैं। सभी ने जो भी पत्र और समाचार लिखे हैं उसके रिटर्न में सभी बच्चों को पुरुषार्थ तीव्र करने की मुबारक हो और साथ-साथ पुरुषार्थ करते अगर कोई साइडसीन आ जाती है तो उसमें घबराने की कोई बात नहीं है। जो भी साइडसीन आती है उसको याद और खुशी से पार करते चलो। विजय वा सफलता तो आप सबका जन्मसिद्ध अधिकार है। साइडसीन पार किया और मंजिल मिली इसलिए कोई भी बड़ी बात तो छोटा करने के लिए स्वयं बड़े ते बड़ी स्टेज पर स्थित हो जाओ तो बड़ी भी बात स्वयं छोटी स्वत: हो जायेगी। नीचे की स्थिति में रहकर और ऊपर की चीज को देखते हो तब बड़ी लगती है। तो ऊंची स्टेज पर स्थित होकर के किसी भी बड़ी चीज को देखो तो छोटी अनुभव होगी। जब भी कोई परिस्थिति आती है या किसी भी प्रकार का विघ्न आता है तो अपनी श्रेष्ठ स्थिति में, ऊंचे ते ऊंची स्थिति में स्थित हो जाओ। बाप के साथ बैठ जाओ तो बाप के संग का रंग भी सहज लग जायेगा। साथ भी मिल जायेगा। और ऊंची स्टेज के कारण सब बातें बहुत छोटी-सी अनुभव होंगी, इसलिए घबराओ नहीं। दिलशिकस्त नहीं हो लेकिन सदा खुशी के झूले मे झूलते रहो तो सदा ही सफलता आपके सामने आयेगी। सफलता मिलेगी या नहीं यह सोचना भी नहीं पड़ेगा। लेकिन सफलता स्वयं ही आपके सामने आयेगी। प्रकृति सफलता का हार स्वयं ही पहनायेंगी। परिस्थिति बदलकर विजय का हार हो जायेगी इसलिए बहुत हिम्मत वाले हैं, उमंग वाले हैं, उत्साह में रहने वाले हैं, यह बीच-बीच में थोड़ा-सा होता भी है तो उसको सोचो नहीं। समय बीत गया, परिस्थिति बीत गई फिर उसका सोचना व्यर्थ हो जाता है इसलिए जैसे समय बीत गया वैसे अपनी बुद्धि से भी बीती सो बीती, जो बीती सो बीती करते हैं वह सदा ही निश्चिन्त रहते हैं। सदा ही उमंग-उत्साह में रहते हैं इसलिए बापदादा विशेष ऐसे उमंग-उत्साह में रहने वाले, हिम्मत वाले बच्चों को विशेष अमृतवेले याद करते हैं। और विशेष शक्ति देते हैं, उसी समय अपने को पात्र समझ वह शक्ति लेंगे तो बहुत ही अच्छे अनुभव होंगे। अमृतवेले सुस्ती आ जाती है:- खुशी की प्वाइन्ट का मनन कम करते हैं। अगर मनन सारा दिन चलता रहे तो अमृतवेले भी वही मनन किया हुआ खजाना सामने आने से खुशी होगी तो सुस्ती नहीं आयेगी। लेकिन सारा दिन मनन कम होता है उस समय मनन करने की कोशिश करते हैं तो मनन नहीं होता है क्योंकि बुद्धि फ्रेश नहीं होती है। फिर न मनन होता, न अनुभव होता, फिर सुस्ती आती है। अमृतवेले को शक्तिशाली बनाने के लिए सारे दिन में भी श्रीमत मिलती है उसी प्रमाण चलना बहुत आवश्यक है। तो सारा दिन मनन करते चलो। ज्ञान रत्नों से खेलते चलो तो वही खुशी की बातें याद आने से नींद चली जायेगी और खुशी में ऐसे ही अनुभव करेंगे जैसे अभी प्राप्ति की खान खुल गई। तो जहाँ प्राप्ति होती हैं वहाँ नींद नहीं आती है। जहाँ प्राप्ति नहीं वहाँ नींद आती वा थकावट होती है वा सुस्ती आती है। प्राप्ति के अनुभव में रहो, उसका कनेक्शन है सारे दिन के मनन पर। अच्छा! जिन्होंने भी याद-प्यार का सन्देश भेजा है उन्हों को सम्मुख तो मिलना ही है लेकिन अभी जो भी दूर बैठे भी बापदादा सम्मुख देख रहे हैं और सम्मुख देखकर ही बात कर रहे हैं। अभी भी सम्मुख हो फिर भी सम्मुख रहेंगे। सभी को नाम सहित, समाचार के रेस्पान्ड सहित याद-प्यार। सदा तीव्र उमंग, तीव्र पुरुषार्थ में रहना है और औरों को भी तीव्र पुरुषार्थ के वायब्रेशन देते हुए वायुमण्डल ही तीव्र पुरुषार्थ का बनाना है। पुरुषार्थ नहीं, ‘तीव्र पुरुषार्थ'। चलने वाले नहीं, उड़ने वाले। चलने का समय पूरा हुआ अब उड़ो और उड़ाते चलो। अच्छा! वरदान:- भाग्य की नई-नई स्मृतियों द्वारा पुरुषार्थ में रमणीकता का अनुभव करने वाले मन दुरुस्त भव l ब्राह्मण जीवन में लास्ट जन्म होने के कारण शरीर से चाहे कितने भी कमजोर या बीमार हैं, लेकिन मन सबका दुरुस्त है। उमंग-उत्साह से उड़ने वाला है। पावरफुल मन की निशानी है - सेकण्ड में जहाँ चाहे वहाँ पहुंच जाए। इसके लिए सदा अपने भाग्य के गीत गाते उड़ते रहो। अमृतवेले से भाग्य की नई-नई बातें स्मृति में लाओ। कभी किसी प्राप्ति को सामने रखो, कभी किसी ... तो पुरुषार्थ में रमणीता आ जायेगी। बोर नहीं होंगे, नवीनता का अनुभव करेंगे। स्लोगन:- आगे पीछे सोच समझकर हर कर्म करो तो सफलता प्राप्त होती रहेगी। #brahmakumaris #Hindi #bkmurlitoday

  • 24 Sep 2018 BK murli today in Hindi

    Brahma Kumaris murli today Hindi BapDada Madhuban 24-09-2018 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन ''मीठे बच्चे - तुम्हारा मगज़ (दिमाग) खुशी से सदा भरपूर होना चाहिए क्योंकि तुम अभी बाप के समान मास्टर नॉलेजफुल बने हो'' प्रश्न: तुम बच्चे 21 जन्मों के लिए किस आधार पर मालामाल बनते हो? उत्तर: संगम पर तुम डायरेक्ट बाप को अपना सब कुछ देते हो। सब बाप के हवाले कर देते हो इसके रिटर्न में तुम 21 जन्मों के लिए मालामाल बन जाते हो। बाबा कहते इस समय तुम्हारे पास जो कूड़ा किचड़ा है वह मुझे दे दो, मरने के पहले अपना सब कुछ ट्रान्सफर कर दो तो भविष्य में उसका रिटर्न मिल जायेगा। गीत:- ओम् नमो शिवाए....... ओम् शान्ति।सालिग्रामों प्रति शिव भगवानुवाच। रूहानी बच्चों प्रति रूहानी बाप समझा रहे हैं। अभी तुम बच्चे जानते हो यहाँ हमको आत्मा समझ बैठना है, न कि शरीर और सारी दुनिया में एक भी ऐसा मनुष्य नहीं है जो यह समझते हों कि आत्मा क्या है। आत्मा को ही नहीं जानते तो फिर परमात्मा को भी कैसे समझेंगे? बाप द्वारा ही आत्मा की समझानी मिलती है। आत्मा और परमात्मा को ही नहीं जानते इसलिए ही मनुष्य दु:खी हैं। अभी तुम बच्चों को यह मालूम हुआ है कि इस ड्रामा की अथवा कल्प वृक्ष की आयु 5 हजार वर्ष है। यह तो समझते हो उन्हों का बीज अगर चैतन्य होता तो बतलाता ना कि मुझ बीज से झाड़ ऐसे पैदा हुआ। अब वह तो है जड़, यह चैतन्य एक ही मनुष्य सृष्टि का वैराइटी झाड़ है। तुम बच्चों को अभी सारी नॉलेज है। तुम्हारे में भी नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार शुरू से लेकर अन्त तक सारे झाड़ का ज्ञान मिला हुआ है। जैसे बीज में सारे झाड़ का ज्ञान होता है। यह बाप है चैतन्य बीजरूप, गाते भी हैं परमपिता परमात्मा सत-चित-आनंद स्वरूप है। निराकार की महिमा गाई जाती है। उनकी महिमा सबसे बिल्कुल ही न्यारी है। मनुष्य तो कुछ भी नहीं जानते हैं। भल देवताओं को यह वर्सा यहाँ से ही मिलता है परन्तु उनको भी वहाँ यह ज्ञान नहीं रहता। वन्डरफुल बात है ना। यहाँ अभी तुमको सारा ज्ञान मिलता है। बुद्धि में नॉलेज है - यह सृष्टि चक्र कैसे फिरता है। बाप आकरके नई राजधानी स्थापन करते हैं। तुम इस ड्रामा के एक्टर्स हो। सिर्फ तुमको ही ड्रामा के आदि-मध्य-अन्त, रचता और रचना का ज्ञान है और किसको है नहीं। न शूद्र वर्ण को यह ज्ञान है, न देवता वर्ण को यह ज्ञान है। कोई सुनेंगे तो वन्डर खायेंगे। मनुष्य कहते हैं यह त्योहार आदि जो मनाते हैं, वह परमपरा से चले आये हैं। परन्तु बाप समझाते हैं सतयुग में तो यह होते ही नहीं। त्योहारों को कोई जानते ही नहीं। अभी तो कहते हैं ना यह दशहरा, दीवाली आदि त्योहार आने हैं। वहाँ तो यह कुछ भी याद नहीं रहता। एकदम निष्फुरने (निश्चिंत) हो राज्य करते रहेंगे।अभी यहाँ तुम्हारी बुद्धि का ताला खुला हुआ है। तुम एक्टर्स हो। इस ड्रामा के क्रियेटर, डायरेक्टर, मुख्य एक्टर्स, ड्युरेशन आदि को जानते हो। यह नॉलेज जिसकी बुद्धि में रहेगी, उनको अपार खुशी रहेगी। गॉड फादर को ही नॉलेजफुल ज्ञान सागर कहा जाता है। कौनसी नॉलेज है? सिवाए तुम्हारे यह कोई भी समझ न सके। गॉड को ही नॉलेजफुल, वर्ल्ड आलमाइटी अथॉरिटी कहा जाता है। तो नॉलेज किसकी है? सभी वेदों, शास्त्रों, ग्रंथों, सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त की। शास्त्रों में यह ज्ञान नहीं है। वह है ही भक्ति मार्ग के शास्त्र, सिर्फ पूजा करते रहो। बाकी रचयिता और रचना की नॉलेज कुछ भी नहीं है। तब तो ऋषि-मुनि आदि भी कहते थे कि हम रचता और रचना को नहीं जानते। समझाने वाला एक ही बाप है। तो जानेंगे फिर कहाँ से। अभी तुम बाप द्वारा सुनते हो फिर यह नॉलेज प्राय:लोप हो जाती है। यह नॉलेज सिवाए तुम बच्चों के और कोई नहीं जानते। तुमको कितनी बड़ी नॉलेज मिलती है। तो तुम बच्चों को कितनी खुशी होनी चाहिए! वह लोग डॉक्टरी आदि पढ़ने के लिए, सीखने के लिए विलायत में जाते हैं। तुमको तो यहाँ ऐसा बनाते हैं जो वहाँ यह डॉक्टर आदि होते ही नहीं। बेहद का बाप जो नॉलेजफुल है, उन द्वारा हम सब कुछ जान जाते हैं। उनकी हम सन्तान हैं। तो ज्ञान से मगज़ (दिमाग) कितना भरपूर रहना चाहिए। कितनी खुशी होनी चाहिए। ऐसी कोई चीज नहीं जिसको हम न जानते हो। वह लोग जो कुछ पढ़ते हैं वह तो कुछ नहीं है। भक्ति मार्ग के शास्त्र आदि कितने पढ़ते हैं। परन्तु यह तो कोई नहीं जानते कि यह सृष्टि चक्र कैसे फिरता है? तुम बच्चे अभी मास्टर नॉलेजफुल बनते हो। नटशेल में तो सब जान चुके हो। बाकी सिर्फ आत्मा जो तमोप्रधान है उनको सतोप्रधान बनाना है। कोई हैं जो तमोप्रधान से तमो बने होंगे, कोई तमो से रजो बने होंगे, कोई रजो से सतो बने होंगे। सतोप्रधान नहीं कहेंगे। सतोप्रधान जब बन जायेंगे तो नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार कर्मातीत अवस्था आ जायेगी फिर तो नई दुनिया चाहिए राजाई के लिए इसलिए पुरानी दुनिया का विनाश होता है। जब यह यज्ञ पूरा होगा तो सारी पुरानी दुनिया की आहुति पड़ेगी। यह पढ़ाई पूरी हो जायेगी फिर नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार कर्मातीत अवस्था को पा लेंगे। जैसे वह भी इम्तहान पास कर फिर ट्रांसफर हो जाते हैं, तुम भी मृत्युलोक से ट्रांसफर हो अमरलोक में चले जायेंगे। हम अमरलोक में थे फिर 84 जन्म लेते-लेते मृत्युलोक में आ गये हैं।तुम कहते हो अभी हम पढ़ रहे हैं फिर अमरलोक में जाकर देवी-देवता बनेंगे। बाप ही मनुष्य से देवता बनाते हैं। पतितों को पावन देवी-देवता कौन बनायेगा? देवता तो यहाँ कोई है नहीं, जो देवी-देवता बनावे। लक्ष्मी-नारायण चाहिए ना। वह तो यहाँ होते नहीं। तुम बच्चे जानते हो इस समय बाप ही आकर पढ़ाते हैं। स्वर्ग का राज्य भाग्य देते हैं। स्वर्ग था, लक्ष्मी-नारायण का राज्य था ना। इन्हों की यह राजाई किसने स्थापन की? हेविनली गॉड फादर ने ही पैराडाइज सतयुग स्थापन किया, जहाँ देवी-देवता राज्य करते थे। वहाँ दूसरा कोई खण्ड था नहीं। एक ही भारत था। तुम्हारी बुद्धि में है - हम जब राज्य करेंगे तो दूसरा कोई नहीं होगा। तुम्हारी बुद्धि में यह सारा झाड़ है, इसका बीज ऊपर में है। वह सत है, चैतन्य है। आत्मा भी इम्पैरेसिबुल है। बाबा भी इम्पेरेसिबुल है। जो बाबा में ज्ञान है वह तुमको सुनाते हैं। सारा झाड़ खड़ा है, बाबा ऊपर में है। इस समय मनुष्य तमोप्रधान कांटे हैं। झाड़ पुराना होने से जैसे सूख जाता है इसलिए इनको कहा जाता है कांटों का जंगल। वहाँ होता है फूलों का बगीचा। बागवान भी है, किसको खिवैया, किसको बागवान, किसको माली कहते हैं। बाप है खिवैया। तुम भी बोट चलाना सीख रहे हो। हरेक की नईया बहुत पुरानी हो गई है। नईया आत्मा और शरीर दोनों की बनी हुई है। गाते भी हैं - नईया मेरी पार लगाओ। अब नईया भी पुरानी तो शरीर भी पुराना। अब पार कैसे हो और कहाँ जायें? तुम जानते हो पार किसको कहा जाता है, मुक्तिधाम, जीवनमुक्तिधाम क्या चीज़ है! बरोबर बाप अभी पार ले जाते हैं, दु:खधाम से सुखधाम अथवा विषय सागर से क्षीरसागर में ले जाते हैं। वह सिर्फ गाते हैं नईया मेरी पार लगाओ, बागवान आओ, कांटों को फूल बनाओ। तुम भी पहले नहीं जानते थे। अभी मूलवतन, सूक्ष्मवतन, सतयुग से लेकर कलियुग तक सब राज़ को जान गये हो। जो जानते हैं वही सुनाते हैं। अन्दर ज्ञान टपकता रहे तो सदैव खुशी में रहेंगे। कोई चिंता की बात ही नहीं रहती, फिक्र से फ़ारिग हो जाते हो।तुम जानते हो बाबा हमको ले जाते हैं, अब हम बाबा जैसे बन रहे हैं। बच्चा बाप समान बनता है ना। बाबा नॉलेजफुल है, तुमको भी नॉलेजफुल बनाया है। आत्माओं का कनेक्शन है ही परमात्मा बाप से। आत्मा कहती है जो बाबा में नॉलेज है, वह हम आत्माओं को दे रहे हैं। तुम हो रूहानी बाप के रूहानी बच्चे। यह भी नई बात है ना। बाबा बिगर कोई सुना न सके। वह निराकार बाप भी साकार के आधार से सुनाते हैं। नहीं तो तुम सुन न सको। बच्चों को बाप आप समान बनाते हैं। दु:ख हर्ता, सुख कर्ता वह बाप है। उनकी जो महिमा है वह तुम्हारी भी है, कोई फ़र्क नहीं। बाकी क्या फ़र्क रहता है? हम जन्म-मरण में नहीं आते हैं, तुम जन्म-मरण में आते हो। मुझे ज्ञान सागर कहते हैं तो मैं तुम बच्चों को ज्ञान देता हूँ। मैं सुख का सागर, पवित्रता का सागर, शान्ति का सागर हूँ, तो तुमको भी यह वर्सा देता हूँ।तुम जानते हो यह सारा चक्र फिर 5 हजार वर्ष बाद फिरेगा। यह नॉलेज है सोर्स आफ इनकम। जितना पढ़ते हैं उतना नॉलेज से इनकम होती है। यह नॉलेज भी है तो धंधा भी है। शर्राफ लोग सट्टा करते हैं, तुम क्या देते हो? कूड़ा-किचड़ा। मरने के बाद करनीघोर को कूड़ा-किचड़ा ही देते हैं। तुमको तो जीते जी देना है। ईश्वर अर्थ देते हैं। अब क्या ईश्वर को पुराना खटिया आदि देंगे? बाप कहते हैं तुम मरने से पहले ही सब दे दो। यह पुरानी चीज़ तुम्हारे काम में ही नहीं आयेगी। भल कोई कितना भी साहूकार हो परन्तु कितने दिन के लिए होगा? एक जन्म के लिए, फिर कर्मों अनुसार पता नहीं कहाँ जाकर जन्म लेंगे। तुम तो बाप से 21 जन्मों के लिए लेते हो पुरुषार्थ अनुसार।यह है रूहानी सर्विस। सारी दुनिया जानती है जिस्मानी सर्विस को। रूहानी को कोई जानते ही नहीं। सुप्रीम रूह ही आकर नॉलेज देते हैं। उस सुप्रीम का जन्म भी मनाते हैं। उनको ही सुख का सागर, शान्ति का सागर, दु:ख हर्ता, सुख कर्ता कहते हैं। शिव नाम है ना। जयन्ती भी मनाते हैं। परन्तु बुद्धि में कुछ नहीं है। बाप ही यह सब राज़ सुनाते हैं। फिर 5 हजार वर्ष बाद सुनायेंगे। यह ज्ञान सतयुग में नहीं होता क्योंकि आत्मायें सतोप्रधान हैं। ज्ञान से ही वह ऐसी बनती हैं। यह नई बातें हैं ना। मन्दिर बनाने वाले भी यह नहीं जानते कि लक्ष्मी-नारायण का मन्दिर हम क्यों बनाते हैं? उन्हों को यह राज्य किसने दिया? कैसे यह पद पाया? कहते हैं ना कर्मों का फल है। अभी बाप बैठ कर्म-अकर्म-विकर्म की गति का राज़ समझाते हैं। उन्हों ने भी यह नॉलेज सुनी होगी। है ही भगवानुवाच - गीता से ही आदि सनातन देवी-देवता धर्म की स्थापना हुई। वहाँ बहुत थोड़े मनुष्य होते हैं। बाकी सारी पुरानी सृष्टि कहाँ गई? जरूर विनाश हुआ होगा। महाभारत लड़ाई भी गाई हुई है। गिरधर कविराज कहते हैं। अब गिरधर तो कहते हैं कृष्ण को। कवि कौन है? शिवबाबा को कवि कहा जाता है। कवि अर्थात् सुनाने वाला।तुम जानते हो आ़फतें आदि बहुत आनी हैं। पुरानी दुनिया के विनाश लिए क्या-क्या चीजें बना रहे हैं। यह वही महाभारत लड़ाई है जबकि भगवान् ने आकर रूद्र ज्ञान यज्ञ रचा है। भगवान् यज्ञ किसलिए रचते हैं? यज्ञ रचा ही जाता है सुख-शान्ति के लिए। बाप सभी का दु:ख हर्ता, सुख कर्ता है। तो इस ज्ञान यज्ञ में सारी पुरानी सृष्टि स्वाहा हो जायेगी। तुम जानते हो हम ब्राह्मण यज्ञ के सर्वेन्ट हैं। हम ब्राह्मण ब्रह्मा के सच्चे मुख वंशावली हैं तो बाबा जो मुख से कहे वह मानना पड़े। श्री श्री की श्रेष्ठ मत से ही हम श्रेष्ठ बन, रूद्र की माला का दाना बनेंगे। सिजरा बनाते हैं - वासवानी सिजरा, कृपलानी सिजरा....। तो ऊपर में है शिवबाबा, उनका है निराकारी सिजरा। निराकारी सिजरा वह फिर साकारी सिजरा होता है। पहले नम्बर में है प्रजापिता। तो वह हुआ जिस्मानी और वह रूहानी। रूहानी बाप आकर प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा रचना रचते हैं। उनको बुलाते ही हैं हे पतित-पावन आओ। पुरानी पतित दुनिया को पावन बनाने आओ। नई नहीं बनाते हैं। प्रलय होती नहीं। तो यह वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी रिपीट होती है। 84 का चक्र फिर से शुरू होता है। बेहद के बाप से बेहद की नॉलेज मिलती है, बेहद का वर्सा मिलता है। बेहद के बाप को सब याद करते हैं - हे भगवान् कहते हैं ना। हे ईश्वर, हे प्रभू कहने से कोई चित्र याद नहीं आता। निराकार याद आता है। कहते भी हैं कि भगवान् को याद करो। फादर है ना। हम सब हैं ब्रदर्स। आत्माओं के लिए कहते हैं सब ब्रदर्स हैं। सब पुकारते हैं - हे पतित-पावन, दु:ख हर्ता, सुख कर्ता, हे लिबरेटर आओ, हमको गाइड करो। घर भूल गया है। याद है परन्तु हम जा नहीं सकते हैं। योग लगाने से जैसे घृत पड़ता जाता है। आत्मा अविनाशी है ना। तो आत्मा की ज्योति सारी उझाई नहीं जाती है। तो अब योगबल का घृत डालना है। सदैव के लिए फिर दीपमाला, सोझरा हो जायेगा। दीपमाला अर्थात् घर-घर में सोझरा। तो दीपमाला कहाँ होगी? सतयुग में। यहाँ नहीं। यह सब राज़ तुम समझते हो, तुम्हारे पास ब्लाइन्डफेथ नहीं है। अच्छा!मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते। धारणा के लिए मुख्य सार: 1) चिंताओं से फ्री होने के लिए बाप समान नॉलेजफुल बनना है। बुद्धि में सदा ज्ञान का सिमरण करते रहना है। 2) रूहानी सर्विस कर अपनी प्रालब्ध बनानी है। पुराना सब कुछ ट्रांसफर कर देना है। वरदान: एक के पाठ द्वारा निराकार, आकार को साकार में अनुभव करने वाले वरदानी मूर्त भव! सिर्फ एक का पाठ पक्का करके वरदाता को राज़ी कर लो तो अमृतवेले से रात तक हर दिनचर्या के कर्म में वरदानों से ही पलते, चलते, उड़ते रहेंगे। वह एक का पाठ है - एक बल एक भरोसा, एकमत, एकरस, एकता और एकान्तप्रिय ...यह ''एक'' शब्द ही बाप को प्रिय है। जो इस एक का पाठ पक्का कर लेते हैं उन्हें कभी मुश्किल का अनुभव नहीं होता। ऐसी वरदानी आत्मा को विशेष वरदान प्राप्त होता है इसलिए वे निराकार-आकार को जैसे साकार अनुभव करते हैं। स्लोगन: किसी से किनारा करके अपनी अवस्था बनाने के बजाए सर्व का सहारा बनो। #Hindi #brahmakumaris #bkmurlitoday

  • 28 Sep 2018 BK murli today in English

    Brahma Kumaris murli today in English 28/09/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban Sweet children, you should not hold any grudges against anyone, because you are benefactors for everyone. Those who hold grudges against anyone are said to be half-caste Brahmins. Question: Which awareness should your intellects always have so that you become fearless? Answer: Always have the awareness that you are becoming deities, the masters of the land of truth. Someone can kill a body, but no one can kill a soul. A bullet would hit the body. I, the soul, am going to Baba. Why should I have any fear? While I am sitting here, if the ceiling falls on me, I will go to Baba. There is nothing to be afraid of in this. Become fearless to this extent. Song: Mother, o mother, you are bestower of fortune for the world. Om Shanti . You children heard the praise of Jagadamba. People simply sing this and there are melas to Jagadamba. This is the confluence age; this is the meeting of the children and the Father. Since there is the Father, there is surely also the mother. No one in Bharat knows the life story of Jagadamba, the one who creates the world, that is, the World Mother (Jagadamba). There are also temples to Jagadamba. You children have now received understanding; you have each received a third eye of knowledge. You children know that the one whose memorial is built would definitely have come on to this earth at the confluence age. That one is called Jagadamba. Prajapita is Jagadpita (World Father). No one knows the beginning, middle or end of this unlimited drama or who the main actors are. The hero and heroine are also actors. There wouldn't just be two of them; there would definitely be their army. There would also be the army of Jagadamba; they are called Shaktis. The Shakti Army is well known. Where did they receive power from? They would surely have taken power from the Almighty Authority, the Supreme Father, the Supreme Soul. Everyone believes this. The Highest on High is God. He is called Sat Shri Akal. Akaali people (Sikhs) believe in the incorporeal One. Sikhs study the Granth and believe in Guru Nanak. They say that Guru Nanak is a deity. The names of each generation of their ten successive gurus are all different. Some are called Singh, some are calls Das, and some are called Chand. The names of all of them are different and the Akaalis believe in the Immortal Image. Whose praise is Sat Shri Akal (Truth, Elevated, Immortal)? That of the Supreme Father, the Supreme Soul. So, this proves that the Truth is only One, Shri Shri God, the Immortal Image. You can say: Sat Shri Akal. You know Him. Those people simply say these words but they don't know the meaning of them. You know the One who is Sat Shri Akal. You know His biography. It is you children who have to churn the ocean of knowledge. The Father is the Ocean of Knowledge anyway and He has given the urn to the mothers. This one is the senior mother and then there are you innumerable mothers, you innumerable daughters and sons of Jagadamba. That one is Jagadamba and there is definitely the father as well. You know who Jagadamba is and whose daughter she is. She too is a human being; she doesn't have eight or ten arms. No one knows why she has been shown with so many arms. So the Highest on High is God, the Truth. It has been explained to you children that the Supreme Father, the Supreme Soul, whom we call Rup Basant, is Rup and also Basant, the Ocean of Knowledge. Such a tiny star and yet He is the Ocean of Knowledge! It is a wonder! It has been explained to you children that the Father is a point and that He truly has a whole part in Him. He fulfils the desires of the devotees on the path of devotion. All of this is fixed in the drama. Whatever feelings someone has at whatever time, that is fixed in the drama in advance. This study of yours is also fixed in the drama and this part is now being repeated. This is something to be understood. You can explain very clearly: Everyone says that God is the Highest on High. He is the incorporeal One, the fearless One and the One with no grudges. He doesn't hold any grudges against anyone. You too don't hold grudges against anyone. You are benefactors for everyone. If someone holds a grudge, he would be called a half-caste: half a shudra and half a Brahmin. When this alloy of the vices is completely removed, you will be called true Brahmins. Now you are half and half. Souls are still filled with iron-aged, tamopradhan sanskars and those now have to be removed. At present, you are neither deities nor shudras; you are said to be Brahmins in the middle, and you haven't become complete in that either. Jagadamba cannot be called a deity. When Jagadamba becomes complete she will then become a deity. She is now a Brahmin, the daughter of Brahma: Saraswati. However, no one knows this. When did Brahma come and create the mouth-born creation? They are called the Shiv Shakti Army. You know that He is the highest-on-high Father, the Supreme Father, the Resident of the supreme abode. Then there are Brahma, Vishnu and Shankar in the subtle region. Because of it being the family path, the form of a couple is shown. They show Vishnu as a complete couple. All of this should remain in your intellect. Human beings say that they are actors. So, human beings should know the beginning, the middle and the end of the drama. Who is God, the Highest on High? Who are Brahma, Vishnu and Shankar? Is there anyone else who has eight, ten or a hundred arms? No, all of those pictures are useless. They show Brahma with a hundred arms. This one is the Father of People; there is no question of a hundred arms. All of that is wrong. In fact, you should understand what is truly right. God, the Highest on High, who resides in the supreme abode is a star. Vishnu has been shown with four arms - two arms of Lakshmi and two of Narayan – just as they also show ten heads of Ravan: five vices of woman and five vices of man. The first and foremost vice is body consciousness. Then the other vices enter, numberwise. Brahma, the resident of the subtle region, is avyakt (subtle). Prajapita Brahma (the Father of People) has to be here. When this one becomes perfect, he becomes an angel, a resident of the subtle region. You too become angels. There, your bodies are not of flesh and bone. They are called angels. Brahma is the Father of People here. Then Vishnu will carry out the sustenance through the two forms. Shankar is in the subtle region. These deep matters have to be understood. No one has that far-sighted an intellect. Your intellects have gone right to the incorporeal world and the subtle region. The subtle region where you can go up and come down from has now been created. There has also been the creation of Brahma, Vishnu and Shankar. So the Highest on High is God and then there are Brahma, Vishnu and Shankar and then there are the deities of the human world. However, there aren't any human beings with eight to ten arms or goddesses such as Chandika (cremator goddess). Where did all of those pictures come from? You don't have any weapons. They have sat and created all of those violent weapons. Deities are doubly non-violent. There are no weapons etc. in the subtle region. They have shown so many weapons in those pictures. That is called the worship of dolls. No one knows the occupation of any of them. Baba comes and creates the new creation through Brahma and so He Himself is the Senior. You are his children, grandsons and granddaughters. Those who are to understand, will understand this, but they don't then understand that everyone is to die. Even now, so many continue to die, but no one puts this in the newspapers because, otherwise, their names would be spoilt. So many starve to death. They are hardly able to get two chapattis to eat for a meal. You children know that the kingdom of Lakshmi and Narayan continues in the golden age. They are beings with two arms each. It isn't that there are goddesses with eight or ten arms in the golden age. Rama and Sita are the second number. They too are claiming their status here through Raja Yoga. This is such an easy matter to understand! The Father says: You have studied many Vedas and scriptures. Now, listen to Me and judge for yourself whether I am telling the truth or they tell the truth. If they tell the truth, why have you not become true Narayan by listening to the story of the true Narayan? You are now listening to the true story from the true Baba in a practical way. This story is for you to become Lakshmi from an ordinary woman and Narayan from an ordinary man. Subjects too will definitely be created. Or, is it that just Lakshmi and Narayan will go and sit on the throne? A kingdom of deities is being established. Then, you will go and rule in the golden age. The kings there don't have armies etc. Armies are part of vicious, unholy kings. Those others are holy kings. The golden age is called the holy land and this is called the unholy land; it has become very old and impure. The new definitely has to become old. The body too is new at first and it then becomes old. This should sit in your intellects. Although they are human beings, they don't know the beginning, the middle or the end of the drama. You know that the Highest on High, Shiv Baba, resides in the supreme abode. That is called the incorporeal world. Souls, points also reside there. However, if just the point form is shown, how could anyone understand? How would they worship a point? How would they worship Shiv Baba, a point? How would they apply a tilak? Baba has been to Amarnath. Baba went and saw how they make the Shivalingam there. They say that Shankar told the story to Parvati up on the mountains. What state of degradation did she reach that he sat and told her the story? In fact, all of you are Parvatis. You come into the cycle of birth and death and are listening to the story in order to attain salvation. So, there, he (Brahma) asked: Where is the Shivalingam? He was told: The Shivalingam is self-creating. Oh! but how is that possible? They also show pigeons there. Pigeons never learn how to speak. Parrots are taught how to speak and so they speak. They are able to memorize and repeat things they hear. You wear bead necklaces of knowledge. Baba has explained that the Highest on High is Shiv Baba and that there are then Brahma, Vishnu and Shankar. They show Vishnu with four arms in order to portray the family path. Here, in the human world, the highest on high are Lakshmi and Narayan and their kingdom, and then there is the dynasty of Rama and Sita. That holy dynasty comes to an end and then the kingdom of Ravan begins. Then, everyone has to become impure. However, there is some influence of the new souls that come down at the end. Some have satopradhan parts, some have rajo parts and others tamo parts. This is an unlimited drama. Human beings are human beings. All the rest is the worship of dolls. You are actors. You are now changing from human beings into deities. Human beings attain such a high status by studying. This too is a study through which you attain a royal status. There is no other study like this one. Those princes and princesses brought their reward with them. You are creating your reward here for the future golden age. This is such elevated and easy knowledge: liberation-in-life in a second. We are the children of the unlimited Father and we are sitting in God's lap. Who would leave God's lap? So, the beginning, middle and end of this drama have to be understood. The Father sits here and explains everything correctly to you. He is remembered as the Seed of the human world tree. He is also called the Truth, the Living Being and the Embodiment of Bliss. He would definitely give you the inheritance when He comes. You are becoming deities, the masters of the land of truth. There is no question of fear. Here, there is so much fear that someone may attack you. You have to remain completely fearless. Someone can kill a body, but no one can kill a soul that you should be afraid. Very good understanding is required in order to be fearless. The Father is fearless and the children are also fearless. The bullet would hit the body and I, the soul, would go to Baba. I am not afraid. I am sitting here and, if the ceiling falls in, I will go to Baba. It takes time to become fearless. You are the Shiv Shakti Army, the children of Jagadamba. There isn't praise of just one. You are also with her. That One is the Commander. He teaches you spiritual drill. You are His children. You are lucky stars. This Saraswati is also a lucky star. She is the daughter of Brahma. This one (Brahma) is the moon of the Sun of Knowledge but, because he is male, the urn is placed on the mother. Achcha.To the sweetest, beloved, long-lost and now-found, mouth-born creation of Brahma, the decoration of the Brahmin clan, the children who are spinners of the discus of self-realisation, love, remembrance and good morning from the depths of the heart with deep love from the Mother, the Father, BapDada, numberwise, according to the efforts you make, the spiritual Father says namaste to the spiritual children. Essence for Dharna: 1. Remove the iron-aged, tamopradhan sanskars and become true Brahmins. Don't hold grudges against anyone. 2. In order to become fearless, practise being soul conscious. Maintain the intoxication: We are the Shiv Shakti Army and we have to become masters of the land of truth. Blessing: Like a sunflower facing the sun, may you always be facing and be close to the Father by shinning like the sun of knowledge. A sunflower is always surrounded by the light of the sun, and it always faces the sun with its petals in a circle like rays of the sun. In the same way, the children who always remain close and facing the sun of knowledge like a sunflower and are never distant shine constantly like a sunflower with the light of the sun of knowledge, and also enable others to shine. Slogan: Be constantly courageous and give courage to everyone and you will continue to receive God’s help. #brahmakumari #english #Murli #bkmurlitoday

  • I cannot Focus on Study -Answered

    Do you have the same problem? We have answered it. What is education and how to love what we study and learn at school? What is there to learn and understand? Know and Become. Email from Khushi Singh on 7 Sep 2018: Hello sir/mam, i am a 17 yrs old girl residing in India. I am in need for desperate help. I CANNOT STUDY. no matter how much my parents and teachers council me it has stopped affecting me. I am an intelligent girl but because i don't study my grades are dropping. dropped from a 90-60% kindly help. board exam in 6 months. Our Response, as an Answer and complete Guidance: To: Everyone reading Sweet Divine Sister Your letter is received and read. You are a bright student but unable to focus on education. Ask yourself. You inner being knows the reason. You have not yet told the cause why your concentration breaks? Have anything changed? Tell. Secondly, it is not to worry that your passion has changed. One should surely explore all possibilities of life (all Positive possibilities). So you already have experienced the joy of learning the history and geography of this world. Now it is time to know the history of world (World Drama Cycle of 5000 years) Also understand that the present, education is worth not a penny. They do not teach us what is important in LIFE, to live the life. You also know that. What is true Education? Education means: 1. How to live 2. Knowledge of the Self (the Soul) 3. Knowledge of world around me 4. How to manage our relationships 5. How to contribute our best to the world and not least, most important 6. How to think. This is true education that one must learn. But as you know, none of it is taught at any schools today. If it is, then not taught properly. Hence, to sustain yourself and for your parents, you must study, but for your inner self, study the Godly education that God himself is giving. This is highest knowledge where all students are tested daily and results are given instantly. You can listen Gyan Murli daily here: babamurli.com Always remember, there are 2 ways every time you do something - one of them is the right way. Watch Videos: https://www.brahma-kumaris.com/single-post/videos-Films-and-Documentaries-1 Flowers In World Service 00

  • 5 July 2018 BK murli today in English

    Brahma Kumaris murli today in English - 05/07/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban Sweet children, forget everything including your bodies and become complete beggars. Connect your intellects in yoga to the land of Shiva and the land of Vishnu. Question: In which aspect do you children have to become generous hearted like the Father? Answer: Just as Baba becomes generous hearted and takes everything worth straws from you and gives you the sovereignty of the world, in the same way, you too have to become generous hearted. Open this Godly University everywhere. If even three or four people claim a good status, that is great fortune. Become worthy and reveal the Satguru. Never ask anyone for money. Song: Do not forget the days of your childhood. Om ShantiAll of these songs are to entertain the children. BapDada and Mama: there are two Mamas – the dadi (grandmother) and the mother. This one is your grandmother as well. You are the daughters of Brahma and the granddaughters of Shiva. Mama is Saraswati, a daughter of Brahma and granddaughter of Shiv Baba. Jagadamba has become the instrument to look after you children. Shiv Baba has many forms. He plays with you and entertains you a great deal. Festivities are for entertainment. When an engagement takes place, they celebrate with a lot of festivity. Then, before they get married, they both wear torn clothes. Oil is also applied on them. That custom is of this time. Baba explains to you children: You have to become complete beggars. If you don’t have anything, you will receive everything. Nothing should remain: not even your body should remain. Connect your intellects in yoga to the land of Shiva and the land of Vishnu. You should not be attracted to anything else. Look how Baba entertains you! These are the many secrets of Baba. Look how much Meera too is praised. She threw away concern for society just for purity. She became so glorified, but she didn't even receive nectar. She just had love for Krishna. She thought she would go to the land of Krishna just as a wife sacrifices herself when her husband dies; that was why she renounced poison. It wasn't that Meera went to the land of Krishna by remembering him. There was no land of Krishna then. It must be about 500 to 700 years since Meera existed. She was a very good devotee and so she must have taken birth to a very good devotee. She has become so famous. She was Meera, a devotee. You become the true Meeras of knowledge. You have come here to become the sun and moon-dynasty empresses. Although the uneducated first bow down to the educated, they will still become empresses. If you forget your childhood and let go of Baba's hand, you will never become an empress. You will receive an even lower status among the subjects. You will go to Paradise, but you will receive a low status. Baba has explained that you should ask those who perform devotion: What do you want? Why do you worship Krishna? You must surely desire to go to his kingdom, but how can you go there? Many people say that they want peace. However, there is peacelessness throughout the whole world. What would happen by just you yourself receiving peace? I can make you constantly happy for 21 births. Deities were constantly happy in just Bharat alone. That kingdom is now being established. Here, it is the kingdom of Maya, and so you cannot receive peace. There is a separate place for peace and a separate place for happiness. The land of happiness means everyone is happy. Not a single person remains unhappy there whereas not a single person in the land of sorrow remains happy. As are the kings and queens, so the subjects. Here, all are unhappy. In the land of happiness, even the animals are never unhappy. The land of peace, which is also called the land of nirvana, is separate. They say Buddha went beyond, to the land of nirvana, but no one has gone there. If he did go there, what did he achieve before he went? All are unhappy here; they are all fighting. Burma and Ceylon belong to the Buddhists. They say that the Hindus should leave their land. They are unable to tolerate them. Baba also sees that there are now many religions and that this is why they are unable to tolerate anything. Therefore, they immediately get rid of everyone. In the golden age there is just the one religion. You children have all of this knowledge in your intellects. You should take the pictures with you and go and do service for those in the stage of retirement. You should push your way into the temples and have a chit-chat with them. A Shiva lingam is shown in front of Shankar. Therefore, He must definitely be greater than Shankar. If Shankar is a form of God, what is the need to place a Shiva lingam in front of him? All of that has been spread by the sannyasis. They call themselves those who have knowledge of the brahm element and the five elements. They don't even know about Shiva. The brahm element is the place of residence. Those people don't even consider the brahm element and the element to be one and the same. Achcha, if they are those who have knowledge of the brahm element or knowledge of the elements, why do they call themselves Shiva? They believe Shiva and the brahm element to be one. If there is just the one, why are three separate names given? Shiva is worshipped in the form of a lingam (oval shape). In what form have they shown the worship of the brahm element, that is, the element of light? That is the place of residence. People are very confused. You children now have to become clever. Among the sannyasis, those who originally belonged to the deity religion would emerge and quickly take this knowledge. Those who have been converted to other religions three or four births earlier will not emerge as quickly. Those who have recently been converted will emerge quickly. Baba has that attraction (pull). Souls are the needle and Baba is the Magnet. Needles have now become rusty. How can a rusty needle go up above? Rusty objects are dipped in kerosene. Baba removes everyone's rust with the nectar of knowledge. Then we will become real gold. You are now changing from lords of stone to lords of divinity. Bharat was the land of divinity. Look how expensive gold has now become. It will then become very cheap there. This Bharat has now become the land of stone and it will then become the land of divinity. This cycle continues to turn in our intellects. Only when the cycle turns in your intellects throughout the day will you become kings and queens who are rulers of the globe. No one in the world knows these things. You know that those who rule in the golden age take 84 births and that those who come in the silver age surely take fewer births. There is such a vast difference between 84 births and 8.4 million births that people have portrayed. In that case, for you to take that many births, the cycle would also have to be just as long. All of those things are lies. You should always first of all place the picture in front of them. You must never ask for money for it. Your duty is to give it to them. Whatever they want to give, they will give that by themselves. If anyone asks you the cost of it, tell them that Baba is the Lord of the Poor and that it is free for the poor but, however much money a wealthy person gives, we can then print many more pictures with that money. We don't use the money given to us for ourselves. Whatever we receive is used to serve others. It is the wealthy people who will build dharamshalas etc. Yes, the poor can also build them. There is no expense in that. Similarly, the mothers of the village of Kakod say that they want to open a centre. If even three or four people claim a good status from such a Godly University, it is their great fortune. You have to be generous hearted in this. Look how generous hearted Baba is. He takes everything worth straws from you and gives you the sovereignty. Only worthy children can do Baba's service. What would unworthy ones do? The Father does not give the inheritance to unworthy ones. You have to reveal the Satguru. If you become lustful or angry, it means you have defamed the Satguru and you won't be able to receive a status. A lot of care has to be taken. You have to explain to people of all religions. Also explain to the Muslims: You pray to Khuda (God) and so you are definitely His devotees. So, where is Khuda? Khuda alone can give you the knowledge of the Creator and creation. He resides in the land of peace. By remembering Him, you can claim the inheritance of peace. By claiming your inheritance, your sins will be absolved and you will then go to Khuda. This knowledge is for those of all religions. This is something completely new. Your boat goes across with knowledge and you don't need to go anywhere else. Therefore, sweet children, you are now going to heaven and so you definitely need to become pure. Look, there isn't purity in Bharat and so they continue to stumble around. There is so much chaos. Whatever Gandhiji taught before he departed, people are following him in that. When the road sweepers, labourers and drivers etc. go on strike, they cause so many problems for the Government. The Government asks them very clearly: How can we cover the expenses for so many? People then reply: You enjoy yourselves very much and just continue to accumulate wealth. What crime have we committed? We need a wage. When they go on strike, their work comes to a halt. All of this has to happen. Sometimes, you won't be able to get vegetables or grain or even milk. There is conflict everywhere. After all of this chaos, there will be peace. Arjuna was granted a vision of destruction and of the land of Vishnu. You too are now having those visions. Look, you are such beloved children. You have come and met Baba at the end of your many births and so, claim your full fortune. (There was a lot of heavy rainfall.) Look, there has been a lot of rain of Baba's knowledge and there has also been a lot of physical rain. People create sacrificial fires for rain and also for peace, but only the one God is peaceful. Only when He comes can He give knowledge for peace. He is the One who gives knowledge. Good children are called tollput (sweet children). Sweet toli is given. That is a physical sweet whereas this is the spiritual sweet that the spiritual Father gives you. It is a high destination to remain soul conscious. Effort is required for that. Baba says: Be soul conscious for eight hours. Then you can also do your work for your own livelihood. If you stay awake at night, you will be able to have very good yoga. This is an income. O children, who are conquerors of sleep, remember Me in every breath. Churn the ocean of knowledge. The more you stay in yoga day and night, the more your sins will be absolved. The more you churn knowledge, the more income you will earn. However, there is also a lot of service to be done. If you ask Baba, Baba would say: You may just sit here! Have a rest! There is no need to ask about this. Was Baba concerned about what people or society would say? Oh! but you are receiving the sovereignty. However, each one does have his own part to play. Then you can ask Baba. Each one has to ask for advice because each one's karmic bondages are different. If you have money, use it in a worthwhile way for spiritual service. You children have to become mahavirs. It is remembered: Mine is one Shiv Baba and none other. He is the Father of everyone. Shiv Baba says: I have come to take everyone back. The Father says: Not a single human being in this world is trikaldarshi or a theist. All are atheists: they don't know the Father. However, there are many with occult powers. Maya too is no less. You have to conquer this Maya. This is why you should always wear your armour. Armour means “Manmanabhav”. Remember Shiv Baba and become soul conscious. Only once, in this final birth, do you become soul conscious. Then, from the golden age to the iron age no one will give you teachings to become soul conscious. It is only at this time that you have to become soul conscious because you now have to shed your bodies and come to Me. Why should deities become soul conscious? They don't have to return home. You receive this knowledge at this time. You came bodiless and you then adopted bodies and played your parts and you now have to shed your bodies and return home. You have to make your stage firm and conquer Maya. You have to live at home with your families. When swans and storks live together, there are obstacles. A great many assaults from devils have to be tolerated. While sitting at home, you have to make the firm promise: Baba, no matter what happens I will definitely claim my inheritance from You. Some experience so much beating. According to the drama, those parts were also enacted in the previous cycle. Those who tolerate a lot of beating have great fortune. At least, you have still come and met Baba! Therefore, your reward is created. Yes, it does require effort to change from devils to deities. For as long as you live, continue to drink the nectar of knowledge. Baba continues to explain new things. He continues to show you methods. This is called churning the ocean of knowledge. You should use the churning stick of the intellect. Remember Shiv Baba at night before going to sleep. If you are interested in doing service, you won't be able to sleep. You will continue to have thoughts about it: What should I explain about this point? You have to grind the knowledge very well into you. Only when you ‘rub’ knowledge will you become worthy of claiming the tilak of sovereignty (sandalwood paste). You should follow the clever children. The income is huge. Those who have hundreds of thousands and millions will all be destroyed. In just a short time, see what will happen! People will then awaken. Rehearsals for war will continue to take place. Achcha.To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children. Essence for Dharna: 1. Don’t be attracted to anything. Remain soul conscious. Always wear the armour of remembrance. 2. Conquer sleep and remember the Father in every breath. Churn knowledge and accumulate an income. Use the churning stick of the intellect. Blessing: May you be filled with all attainments and always remain free from having to work hard in your Brahmin life. In this Brahmin life, you become complete with the three relationships of the Bestower, the Bestower of Fortune and the Bestower of Blessings so that you stay in spiritual pleasure without having to make any effort. Remember the Father in the form of the Bestower and you will have the intoxication of having spiritual rights. Remember Him in the form of the Teacher and you will have the intoxication of the fortune of being a Godly student. The Satguru is making you move along with blessings at every moment. The elevated directions for everything you do are blessings from the Bestower of Blessings. Remain filled with all attainments and you will become free from having to work hard. Slogan: Lightness and subtlety of the intellect form is the most beautiful personality. #Murli #english #brahmakumari #bkmurlitoday

  • Mamma (BK Mama Saraswati) - June special

    Whom the world remember as Aadi Devi (first deity) or Eve, as written in many texts. In Vedas, Saraswati is described as the goddess of Knowledge. We now understand that Saraswati is spiritual daughter of Prajapita Brahma and also is the World mother (Jagat Amba) through whom God fulfills everyone's wishes. Therefore Jagadamba is worshiped so much. Wishes are fulfilled by incorporeal one, through this world mother. Come and know the divine journey of 'most worshiped' human soul. How serving and simple the life of our Yagya mother was, know through those who actually lived with her, witnessed her virtues and spiritual stage, listened the nectar of knowledge flowing from Mamma's mouth. Loukik birth in around 1920, an attractive personality named Radha was born to the mother Rocha and father Pokardas in Amritsar, Punjab. Later called as 'Om Radhe'. Below video is a special story of Om Radhe becoming Jagadamba Saraswati (Mamma). ''Most virtuous soul of all'' - everyone who witnessed Mamma, would feel this and tell you. Mamma came to Yagya in early stage of life and upon listening Murli, immediately surrendered in the God's mission. At such young age, Mamma became spiritually matured and took responsibility of the Yagya in hands. When there was case run against Om Mandli, Mamma appeared in court to protect Om mandli and gave such testimony (gawahi) that even the judge was silent. Mamma explained them that how the incorporeal God has placed Dada Lekhraj as the medium and he is teaching us through him. That how can a human being know this knowledge and it is God who commands us to remain pure (pure in mind, words and actions) and every human have right to decide and direct their own life. Om mandli wins the case. Mamma won hearts making everyone to think. ''Baba said, Mamma executes. No question. No doubt in mind.'' Mamma had a very sharp intellect. She would explain Baba's Murli in classes after churning the knowledge said in murli. Churning, dharna, introspection, inner joy, silence, royalty and belongingness to God - these are few of the qualities Mamma acquired after coming in Yagya. Mamma had won hearts of all surrendered brother and sisters. Everyone loved her. Mamma's motto was 'One Faith, One Power' & 'Never give or take the sorrow'. Mamma was actually a reflection of what Murli or Shrimat is. Mamma was the ideal Godly student. No one matched her in obeying Shrimat. Mamma use to wake up at 2 AM in morning for Amritvela Yog (meditation). Not only she mastered the Self and senses, but also guided many in this path of spiritual upliftment, in becoming a deity from a human. By only seeing Mamma, many decided to give away their 5 vices and become as pure and great as her. Mamma's role in Gyan Yagya is special since the beginning. And this role became eminent after 1950 when the group settled in Mount Abu and started the service across India. Mamma went on services and many new centres started to open. Mamma was responsible for finance of Yagya, and so she always kept economy and effectiveness balanced (i.e. only spend money for right purpose) Personality ​ Mamma had many virtues and as the devotees worship 9 forms of goddess, mamma indeed had all 9 powers imbibed naturally which she used for upliftment of souls. ​ SARASWATI - Goddess of Knowledge - Mama listened to the Knowledge (murli) from Shiv Baba andimbibed it and played the Sitar of Knowledge, and inspired everyone through her own inculcation (dharna), and brought realization to all. JAGADAMBA - Goddess of Fulfilment - giving love and bestowing eternal blessing of peace and happiness. DURGA - Goddess of Shakti - who takes power from Shiva and removes all weaknesses (durgunn) within the self, and also helps to remove weaknesses of others. KALI - Goddess of Fearlessness - who is fearless and courageous and destroys all negativity, evil and devilish personality traits. GAYATRI - Goddess of Auspicious Omens - Mama gave importance to the elevated versions spoken by Shiv Baba and used each version as a mantra and this is why there is importance of Gayatri mantra, which works like magic to remove all bad omens. VAISHNAV - Goddess of Purity - who radiates light of purity and empowers all to become divine through pure vision, pure thoughts, pure words and deeds. UMA - Goddess of Enthusiasm - who brings hope, zeal and enthusiasm (umang/utsaha). SANTOSHI - Goddess of Contentment – The one who brings a feeling of deep contentment. LAXMI - Goddess of Wealth – The one who bestows upon souls the unlimited Wealth of spiritual knowledge and virtues. Mamma's personality for very powerful. Mamma would look at you and not saying a word, you will understand. Such a spiritual stage was achieved. There was magical force in her words. Mamma's words had changed lives and inspired to become great. Mamma became right hand in service with Prajapita Brahma baba. During services across country, Mamma's voice was recorded. Do you wish to listen her Murli? Here it is. After continuous 28 years of effort making and churning of knowledge, Mamma became complete on in June 1965 and flew to God to be his right hand in World Transformation. Brahmans yet remember the life of Mamma, her virtues, words, and actions (karma) and take inspiration.

  • 31 May 2018 BK murli today in English

    Brahma Kumaris murli today in English - 31/05/18 Morning Murli Om Shanti BapDada Madhuban Sweet children, Maya is keeping proper guard over you. Therefore, don't make the slightest mistake. Continue to make effort to become soul conscious. Question: Which of the Father’s treasure-stores are always overflowing? What is the way to fill yourself from those treasure-stores? Answer: The Father's treasure-stores of purity, peace and happiness are always overflowing. If you want permanent peace and happiness, there is no need to wander around in the forests. Purity is the basis of peace and happiness. Become pure and all your treasure-stores will become full. The Father comes to make you children pure. He is ever pure. Song: Neither will He be separated from us, nor will there be sorrow. Om Shanti. You children are listening to the song sung by the children. The souls of the children are saying this. You children now have to become soul conscious, that is, you have to have the faith that you are souls, not the Supreme Soul. Sannyasis say that the soul is the Supreme Soul. That is like the Ganges flowing backwards. The Father explains: All of you have continued to be body conscious for so long. Now become soul conscious. You are receiving these teachings in order to go back home. Then, in the golden age, you will have the reward. When you become soul conscious here, you imbibe the Father's knowledge. Then, you will play your parts of the reward of knowledge. There, there is no question of being body conscious or soul conscious. At this time, human beings don't know that they are souls and that their Father is the Supreme Soul; they are totally confused. Sannyasis have said: You and I are all God. Wherever I look, I only see You. There is no benefit in that. Those people consider that to be their faith (bhavna). However, not everyone's faith is the same. In the same home, the father would not have the same faith as the children. Because there is extreme darkness in some cases, children would even kill their father. All are impure. You children have now become spinners of the discus of self-realisation. By becoming spinners of the discus of self-realisation you become kings and queens. The Father repeatedly tells you children: Become soul conscious. Consider God, the Father, to be teaching you souls. By giving you His introduction, He is enabling you to change your sanskars. It is the soul that carries the sanskars. The body ends here. Baba, I will now have yoga with You alone. This promise of mine can never be broken. However, there will be many types of obstacle because of purity and you will have to tolerate a lot. Daughters say: Baba, I will tolerate this injustice. At the time of sorrow it emerged from your lips: Oh Rama! Oh God! You would not say this. You Brahmins remember Baba. Baba, when will I become free from this sorrow? They beat me a lot. It is also in the song: No matter how much I am beaten, Baba, I will never forget You. We have to belong to Baba. Connect your intellects in yoga with Him. This is all a matter of understanding. One day this injustice will end. Some things have to be tolerated. All of this is fixed in the drama. Innocent ones are mistreated a lot. Look, this song was composed beforehand, but no one knows its meaning. It is as though the scriptures are your records (songs). People say: Nowhere else do they extract meanings of songs; these are film records (songs). However, Baba has had these made. You children have to explain them. We definitely have to become pure. We have to follow the Father's orders. People don't know anything. They have even mixed Shiva with Shankar and said that both are one. They even say: Krishna is also God. He is ever present. Wherever I look, I only see Krishna. The worshippers of Radhe say: Wherever I look, I only see Radhe. The followers of Sai Baba say: Wherever I look, I only see Sai Baba. There is so much darkness. All of this has to happen; it is predestined in the drama. You say the the flames of destruction emerged from this sacrificial fire of knowledge. They say: Your Baba has created such a sacrificial fire that it brings about destruction. We say: “Let there be peace whereas you bring about destruction. There is the name ‘Sacrificial fire of the knowledge of Rudra’. Sacrificial fires are created by those brahmins. You Brahma Kumars and Kumaris are Brahmins. Those rich businessmen create limited sacrificial fires. The sacrificial fire of Rudra is very well known there. They don't use the term ‘of knowledge’ in that. This is the sacrificial fire of the knowledge of Rudra. You wouldn't call their sacrificial fires those of knowledge. Baba has explained that Lakshmi and Narayan and Radhe and Krishna don't have this knowledge. Only through knowledge is salvation received. There, there is already salvation; it is heaven. These matters have to be understood. The Father sits here and gives knowledge to you Brahmins. They say: They show the charioteer sitting in the chariot. This body is a chariot. Each chariot has a charioteer, the soul, in it. This one's soul is in this one's chariot. However, Baba says: I take a chariot on loan. When a building is rented, both the tenant and the landlord live in it. Here, Baba comes as the Charioteer. He says: I am once again teaching you Raja Yoga. No one else can say this. All of these points are explained for imbibing. Our Baba makes us into the masters of heaven every cycle at the confluence age. By making the mistake of just one word, they have shown so many incarnations and written so many names. Now, you are truly sitting below the kalpa tree. You are studying Raja Yoga in order to claim the status of kings and queens in the future. Here, there are millionaires and multimillionaires, but everything of theirs is going to turn to dust. Natural calamities etc. will all come suddenly. Destruction has to take place at the end. All of them have so many bombs. They would not dispose of them at sea just like that. That is their property worth hundreds of thousands of millions. If they didn't make them, how would destruction take place? Everything will burn and turn to ash. It isn't that people will be hurt and continue to suffer. Such things are being invented that people will die instantly. Therefore, establishment of the one religion and destruction of many religions is clear. Heaven is being established through Brahma. Baba is making the residents of heaven worthy. Everyone bows down to those who become pure. The Father also says: Now become pure. The wings of you souls are now broken. How would you fly? To the extent that you imbibe knowledge and yoga, accordingly you will develop wings. To claim a kingdom is not like going to your aunty's home. The main thing is: I am a soul and this is my body. I, the soul, am an embodiment of peace. There is no need to stumble around for peace. They tell a story of a queen who was wearing her necklace and looking everywhere for it. You are queens. There is no need to go to the forests for peace. Here, it is the kingdom of Maya. There cannot be peace here. Some say: I received peace from so-and-so. However, that is temporary peace and happiness like the droppings of a crow. We want imperishable happiness. You children want permanent peace. With purity, you can claim as much peace and happiness as you want. This is Shiv Baba's treasure-store. The One who is ever pure comes and makes everyone pure. Sannyasis believe that souls are immune to the effect of action and that sin is accumulated by the bodies. You children now know that the Father is the One who establishes heaven. They will understand when you explain to them accurately: The One who is teaching is truly the Supreme Father, the Supreme Soul, who is called the Purifier and the Bestower of Salvation. He takes everyone from degradation into salvation. Only the Father grants salvation. He is called the Bestower of Salvation. He would not be called the Bestower of Degradation. He is called the Purifier. So, who makes you impure? No one knows this. The Father says: When you fall onto the path of sin, Ravan comes into existence. They have kept huge images of Radhe and Krishna in black stone. They have given them the name Shyam and Sundar (the ugly and beautiful one). In the golden age he was beautiful and then, in the iron age, Maya, the snake, bit him and made him ugly. Look how they have moved the stories from one time period to another. People don't know anything at all. No one knows about the Father, the Creator, or creation. The Father explains to you children: Children, remain cautious. Maya is very strong. At this time she is tamopradhan. She doesn't take long to make anyone fall. She catches hold of you by the nose and makes you fall. This is a battlefield. This is why Baba repeatedly says: If you want to benefit yourself, become soul conscious. Consider yourself to be a soul and remember the Father and your final thoughts will lead you to your destination. All the sanskars emerge in front of you. It takes time to destroy the sins of many births. Your efforts will continue till the end. The first thing is to become soul conscious. Supreme Soul, the Father, is teaching us souls and making us equal to Himself. A barrister would definitely make others into barristers, similar to himself. Then everything depends on the effort you make. Some barristers would earn one hundred thousand rupees on one case. The Father tells you children: Now make effort and claim a high status. The multimillionaires of this time will all be turned to dust. I am the Lord of the Poor. The duty of those engaged in battle is to kill or be killed. They carry those sanskars with them. Although they take birth in a household, they then go off to war. Baba explains to you very easily. There are the sins of many births and this is why very good yoga is needed, because only then will your sins be absolved. How can the burden be removed from your head? For this, remember the Father as much as possible. Baba, You are so sweet. The Father says: Beloved children, don't make any mistakes. Maya is keeping total guard over you. Therefore, may you be soul conscious. This is the race of the intellect’s yoga. Everything is included in this. Baba repeatedly tells you: If you want to benefit yourselves, you have to have very good yoga because you will then remain very cheerful. We are the children of God. We receive the inheritance from the Father for the future. We will not rule in the iron age; we will rule in the golden age. To become soul conscious is a very high destination. You cannot become a master of the world just like that. Many assaults will also have to be tolerated. So many daughters in bondage are beaten. Ultimately, you children will be victorious. You just stay in remembrance of the Father. This is the power of yoga which the Father only teaches you once and through which you become the masters of the whole world. No one else can become this. It is only Lakshmi and Narayan who have the most elevated parts in the whole drama. There is a story of two monkeys fighting one another and a cat taking the butter from between them and eating it. They show butter in the mouth of Krishna. It is not a question of butter; it represents heaven. The butter of the whole world is included in this. The Father makes you into the masters of heaven. You should come running from anywhere to meet such a Father. Achcha.To the sweetest, beloved, long-lost and now-found children, love, remembrance and good morning from the Mother, the Father, BapDada. The spiritual Father says namaste to the spiritual children. Essence for Dharna: 1. I, the soul, the charioteer, am sitting in this chariot. Practise this and become completely soul conscious. Race with your intellect’s yoga. 2. Become a total conqueror of attachment. Even in this last birth, tolerate injustice and definitely become pure. Blessing: May you be a true server and have a temperament of happiness by constantly eating dilkhush toli (happy heart toli) and giving it to others too. Those who eat dilkhush toli every day at amrit vela remain happy all day and others also become happy when they see them. This dilkhush toli makes any situation a small thing. It makes a mountain into cotton wool. So, always have the awareness that you are the ones who eat dilkhush toli and who give it to others too. Even in a tearful situation, let your mind always be happy and you will then be said to have a temperament of happiness. Service will then take place through your face. Your face will reveal the personality of knowledge. Slogan: Those who with their every thought inspire many others to make their lives elevated are charitable souls. #english #Murli #bkmurlitoday #brahmakumari

  • 6 Nov 2018 BK murli in Hindi - Aaj ki Murli

    Brahma Kumari murli today Hindi Aaj ki Murli Madhuban 06-11-18 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज: 24-02-84 मधुबन "मीठे बच्चे - बाप के गले का हार बनने के लिए ज्ञान-योग की रेस करो, तुम्हारा फ़र्ज है सारी दुनिया को बाप का परिचय देना'' प्रश्नः- किस मस्ती में सदा रहो तो बीमारी भी ठीक होती जायेगी ? उत्तर:- ज्ञान और योग की मस्ती में रहो, इस पुराने शरीर का चिन्तन नहीं करो। जितना शरीर में बुद्धि जायेगी, लोभ रखेंगे उतना और ही बीमारियां आती जायेंगी। इस शरीर को श्रृंगारना, पाउडर, क्रीम आदि लगाना - यह सब फालतू श्रृंगार है, तुम्हें अपने को ज्ञान-योग से सजाना है। यही तुम्हारा सच्चा-सच्चा श्रृंगार है। गीत:- जो पिया के साथ है..... ओम् शान्ति।जो बाप के साथ है..., अब दुनिया में बाप तो बहुत हैं परन्तु उन सभी का बाप रचयिता एक है। वही ज्ञान का सागर है। यह जरूर समझना पड़े कि परमपिता परमात्मा ज्ञान का सागर है, ज्ञान से ही सद्गति होती है। सद्गति मनुष्य की तब हो जब सतयुग की स्थापना होती है। बाप को ही सद्गति दाता कहा जाता है। जब संगम का समय हो तब तो ज्ञान का सागर आकर दुर्गति से सद्गति में ले जाए। सबसे प्राचीन भारत है। भारतवासियों के नाम पर ही 84 जन्म गाये हुए हैं। जरूर जो मनुष्य पहले-पहले हुए होंगे वही 84 जन्म लेते होंगे। देवताओं के 84 जन्म कहेंगे तो ब्राह्मणों के भी 84 जन्म ठहरे। मुख्य को ही उठाया जाता है। इन बातों का किसी को भी पता नहीं है। जरूर ब्रह्मा द्वारा ही सृष्टि रचते हैं। पहले-पहले सूक्ष्म लोक रचना है फिर यह स्थूल लोक। यह बच्चे जानते हैं - सूक्ष्म लोक कहाँ है, मूल लोक कहाँ है? मूलवतन, सूक्ष्मवतन, स्थूलवतन - इसको ही त्रिलोक कहा जाता है। जब त्रिलोकीनाथ कहते हैं तो उसका अर्थ भी चाहिए ना। कोई त्रिलोक होगा ना। वास्तव में त्रिलोकीनाथ एक बाप ही कहला सकते हैं और उनके बच्चे कहला सकते हैं। यहाँ तो कई मनुष्यों के नाम हैं त्रिलोकीनाथ, शिव, ब्रह्मा, विष्णु, शंकर आदि........ यह सब नाम भारतवासियों ने अपने ऊपर रखा दिये हैं। डबल नाम भी रखाते हैं - राधेकृष्ण, लक्ष्मी-नारायण। अब यह तो किसको पता नहीं, राधे और कृष्ण अलग-अलग थे। वह एक राजाई का प्रिन्स था, वह दूसरी राजाई की प्रिन्सेज थी। यह अभी तुम जानते हो। जो अच्छे-अच्छे बच्चे हैं उन्हों की बुद्धि में अच्छी-अच्छी प्वाइन्ट्स धारण रहती हैं। जैसे डॉक्टर जो अच्छा होशियार होगा उनके पास तो बहुत दवाइयों के नाम रहते हैं। यहाँ भी यह नई-नई प्वाइन्ट्स बहुत निकलती रहती हैं। दिन-प्रतिदिन इन्वेन्शन होती रहती है। जिन्हों की अच्छी प्रैक्टिस होगी वह नई-नई प्वाइन्ट्स धारण करते होंगे। धारण नहीं करते हैं तो महारथियों की लाइन में नहीं लाया जा सकता। सारा मदार बुद्धि पर है और तकदीर की भी बात है। यह भी ड्रामा में है ना। ड्रामा को भी कोई नहीं जानते हैं। यह भी समझते हैं कर्मक्षेत्र पर हम पार्ट बजाते हैं। परन्तु ड्रामा के आदि, मध्य, अन्त को नहीं जानते तो गोया कुछ भी नहीं जानते। तुमको तो सब कुछ जानना है।बाप आये हैं बच्चों को मालूम पड़ा तो बच्चों का फ़र्ज है औरों को भी परिचय देना। सारी दुनिया को बतलाना फर्ज़ है। जो फिर ऐसे ना कहें कि हमको मालूम नहीं था। तुम्हारे पास बहुत आयेंगे। लिटरेचर आदि बहुत लेंगे। बच्चों ने शुरू में साक्षात्कार भी बहुत किया है। यह क्राइस्ट, इब्राहम भारत में आते हैं। बरोबर भारत सबको खींचता रहता है। असुल तो भारत ही बेहद के बाप का बर्थ प्लेस है ना। परन्तु वे लोग इतना कुछ जानते नहीं हैं कि यह भारत भगवान् का बर्थप्लेस है। भल कहते भी हैं शिव परमात्मा परन्तु फिर सबको परमात्मा कह देने से बेहद के बाप का महत्व गुम कर दिया है। अभी तुम बच्चे समझाते हो - भारत खण्ड सबसे बड़े ते बड़ा तीर्थ स्थान है। बाकी और सब जो भी पैगम्बर आदि आते हैं, वह आते ही हैं अपना-अपना धर्म स्थापन करने। उनके पिछाड़ी फिर सब धर्मों वाले आते-जाते हैं। अभी है अन्त। कोशिश करते है वापिस जायें। परन्तु तुमको यहाँ लाया किसने? क्राइस्ट ने आकर क्रिश्चियन धर्म स्थापन किया, उसने तुमको खींच कर लाया। अभी सब तंग हुए हैं वापस जाने के लिए। यह तुमको समझाना है, सब आते हैं अपना-अपना पार्ट बजाने। पार्ट बजाते-बजाते दु:ख में आना ही है। फिर उस दु:ख से छुड़ाकर सुख में ले जाना - बाप का ही काम है। बाप का यह बर्थप्लेस भारत है, इतना महत्व तुम बच्चों में भी सभी नहीं जानते। थोड़े हैं जो समझते हैं और नशा चढ़ा हुआ है। कल्प-कल्प बाप भारत में ही आते हैं। यह सबको बताना है। निमंत्रण देना है। पहले तो यह सर्विस करनी पड़े। लिटरेचर तैयार करना पड़े। निमंत्रण तो सबको देना है ना। रचयिता और रचना की नॉलेज कोई भी नहीं जानते। सर्विसएबुल बनकर अपना नाम बाला करना चाहिए। जो तीखे बच्चे हैं, जिनकी बुद्धि में बहुत प्वाइन्ट्स हैं, उनकी मदद सब मांगते हैं। उनके नाम ही जपते रहते। एक तो शिवबाबा को जपेंगे फिर ब्रह्मा बाबा को फिर नम्बरवार बच्चों को। भक्तिमार्ग में हाथ से माला फेरते हैं, अभी फिर मुख से नाम जपते हैं - फलाने बहुत अच्छे सर्विसएबुल हैं, निरहंकारी हैं, बड़े मीठे हैं, उनको देह-अभिमान नहीं है। कहते हैं ना मिठरा घुर त घुराय (मीठे बनो तो सब मीठा व्यवहार करेंगे)। बाप कहते तुम दु:खी बने हो, अब तुम बच्चे मुझे याद करेंगे तो मैं भी मदद करूँगा। तुम ऩफरत करेंगे तो मैं क्या करूँगा। यह तो गोया अपने ऊपर ऩफरत करते हैं। पद नहीं मिलेगा। धन कितना अथाह मिलता है। किसको लॉटरी मिलती है तो कितना खुश होते हैं। उनमें भी कितने इनाम आते हैं। फर्स्ट प्राइज़, फिर सेकेण्ड प्राइज़, थर्ड प्राइज़ होती है। हूबहू यह भी ईश्वरीय रेस है। ज्ञान और योग बल की रेस है। जो इनमें तीखे जाते हैं वही गले का हार बनेंगे और तख्त पर नज़दीक बैठेंगे। समझाया तो बहुत सहज जाता है। अपने घर को भी सम्भालो क्योंकि तुम कर्मयोगी हो। क्लास में एक घण्टा पढ़ना है फिर घर में जाकर उस पर विचार करना है। स्कूल में भी ऐसे करते हैं ना। पढ़कर फिर घर में जाकर होम वर्क करते हैं। बाप कहते एक घड़ी, आधी घड़ी........ दिन में 8 घड़ियाँ होती हैं। उनसे भी बाप कहते एक घड़ी, अच्छा आधी घड़ी। 15-20 मिनट भी क्लास अटेन्ड कर, धारणा कर फिर अपने धन्धेधोरी में जाकर लगो। आगे बाबा तुमको बिठाते भी थे कि याद में बैठो, स्वदर्शन चक्र फिराओ। याद का नाम तो था ना। बाप और वर्से को याद करते-करते स्वदर्शन चक्र फिराते-फिराते जब देखो नींद आती है तो सो जाओ। फिर अन्त मति सो गति हो जायेगी। फिर सवेरे उठेंगे तो वही प्वाइन्ट्स याद आती रहेंगी। ऐसे अभ्यास करते-करते तुम नींद को जीतने वाले बन जायेंगे।जो करेगा वो पायेगा। करने वाले का देखने में आता है। उसकी चलन ही प्रत्यक्ष होती है। ना करने वाले की चलन ही और होती। देखा जाता है यह बच्चे विचार सागर मंथन करते हैं, धारणा करते हैं। कोई लोभ आदि तो नहीं है। यह तो पुराना शरीर है। यह शरीर ठीक भी तब रहेगा जब ज्ञान और योग की धारणा होगी। धारणा नहीं होगी तो शरीर और ही सड़ता जायेगा। नया शरीर फिर भविष्य में मिलना है। आत्मा को प्योर बनाना है। यह तो पुराना शरीर है, इनको कितना भी पाउडर, लिपिस्टिक आदि लगाओ, श्रृंगार करो तो भी वर्थ नाट ए पेनी है। यह श्रृंगार सब फालतू है।अब तुम सबकी सगाई शिवबाबा से हुई है। जब शादी होती है तो उस दिन पुराने कपड़े पहनते हैं। अब इस शरीर को श्रृंगारना नहीं है। ज्ञान और योग से अपने को सजायेंगे तो फिर भविष्य में प्रिंस-प्रिंसेज बनेंगे। यह है ज्ञान मान सरोवर। इसमें ज्ञान की डुबकी मारते रहो तो स्वर्ग की परी बनेंगे। प्रजा को तो परी नहीं कहेंगे। कहते भी हंै कृष्ण ने भगाया, फिर महारानी, पटरानी बनाया। ऐसे तो नहीं कहेंगे कि भगाकर फिर प्रजा में चण्डाल आदि बनाया। भगाया ही महाराजा-महारानी बनाने के लिए। तुमको भी यह पुरुषार्थ करना चाहिए। ऐसा नहीं जो पद मिले सो ठीक......। यहाँ मुख्य है पढ़ाई। यह पाठशाला है ना। गीता पाठशाला बहुत खोलते हैं। वह बैठ सिर्फ गीता सुनाते हैं, कण्ठ कराते हैं। कोई एक श्लोक उठाकर फिर आधा पौना घण्टा उस पर बोलते हैं। इससे फ़ायदा तो कुछ भी नहीं। यहाँ तो बाप बैठ पढ़ाते हैं। एम-ऑब्जेक्ट क्लीयर है। और कोई भी वेद-शास्त्र, जप-तप आदि करने में कोई एम ऑब्जेक्ट नहीं है। बस, पुरुषार्थ करते रहो। परन्तु मिलेगा क्या? जब बहुत भक्ति करते हैं तब भगवान् मिलते हैं सो भी रात के बाद दिन जरूर आना है। समय पर होगा ना। कल्प की आयु कोई क्या बतलाते, कोई क्या बतलाते हैं। समझाओ तो कहते हैं शास्त्र कैसे झूठे होंगे? भगवान् थोड़ेही झूठ बोल सकता। समझाने की सिर्फ ताकत चाहिए।तुम बच्चों में योग का बल चाहिए। योगबल से सब काम सहज हो जाते हैं। कोई काम नहीं कर सकते हैं तो गोया ताकत नहीं है, योग नहीं है। कहाँ-कहाँ बाबा भी मदद करते हैं। ड्रामा में जो नूंध है वह रिपीट होता है। यह भी हम समझते हैं और कोई ड्रामा को समझते ही नहीं। सेकेण्ड बाई सेकेण्ड जो पास होता जाता, टिक-टिक होता जाता है, हम श्रीमत पर एक्ट में आते हैं। श्रीमत पर नहीं चलेंगे तो श्रेष्ठ कैसे बनेंगे। सब एक जैसे बन नहीं सकते। यह लोग समझते हैं हम एक हो जाएं। एक का अर्थ नहीं समझते। एक क्या हो जाएं? क्या एक फादर हो जाना चाहिए वा एक ब्रदर हो जाना चाहिए? ब्रदर कहें तो भी ठीक है। श्रीमत पर बरोबर हम एक हो सकते हैं। तुम सब एक मत पर चलते हो। तुम्हारा बाप, टीचर, गुरू एक ही है। जो पूरा श्रीमत पर नहीं चलते तो वह श्रेष्ठ भी नहीं बनेंगे। एकदम नहीं चलेंगे तो ख़त्म हो जायेंगे। रेस में उनको ही निकालते हैं जो लायक होते हैं। जब कोई बड़ी रेस होती है तो घोड़े भी अच्छे फर्स्टक्लास निकालते हैं क्योंकि लॉटरी बड़ी रखते हैं। यह भी अश्व रेस है। हुसैन का घोड़ा कहते हो ना। उन्होंने हुसैन को घोड़े पर लड़ाई में दिखाया है। अभी तुम बच्चे तो डबल अहिंसक हो। काम की हिंसा है नम्बरवन। इस हिंसा को कोई जानते ही नहीं। सन्यासी भी ऐसे नहीं समझते हैं। सिर्फ कहते हैं यह विकार है। बाप कहते हैं - काम महाशत्रु है, यही आदि, मध्य, अन्त तुमको दु:ख देता है। तुमको यह सिद्ध कर बताना है कि हमारा प्रवृत्ति मार्ग का राजयोग है। तुम्हारा हठयोग है। तुम शंकराचार्य से हठयोग सीखते हो, हम शिवाचार्य से राजयोग सीखते हैं। ऐसी-ऐसी बातें समय पर सुनाना चाहिए।कोई तुमसे पूछे कि देवताओं के 84 जन्म हैं तो भला इन क्रिश्चियन आदि के कितने जन्म है? बोलो, यह तो तुम हिसाब करो ना। पांच हजार वर्ष में 84 जन्म हुए। क्राइस्ट को 2 हजार वर्ष हुए। हिसाब करो - एवरेज कितने जन्म हुए? 30-32 जन्म होंगे। यह तो क्लीयर है। जो बहुत सुख देखते हैं, वह दु:ख भी बहुत देखते हैं। उन्हों को कम सुख, कम दु:ख मिलता है। एवरेज का हिसाब निकालना है। पीछे जो आते हैं वह थोड़े-थोड़े जन्म लेते हैं। बुद्ध का, इब्राहम का भी हिसाब निकाल सकते हैं। करके एक-दो जन्म का फ़र्क पड़ेगा। तो यह सब बातें विचार सागर मंथन करना चाहिए। कोई पूछे तो क्या समझायें? फिर भी बोलो - पहले तो बाप से वर्सा लेना है ना। तुम बाप को तो याद करो। जन्म जितने लेने होंगे उतने लेंगे। बाप से वर्सा तो ले लो। अच्छी रीति समझाना है। मेहनत का काम है। मेहनत से ही सक्सेसफुल होंगे। इसमें बड़ी विशाल बुद्धि चाहिए। बाबा से और बाबा के धन से बहुत लव चाहिए। कोई तो धन ही नहीं लेते। अरे, ज्ञान रत्न तो धारण करो। तो कहते हैं हम क्या करें? हम समझते नहीं। नहीं समझते हो तो तुम्हारी भावी। अच्छा!मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते। धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) किसी से भी ऩफरत नहीं करनी है। सबसे मीठा व्यवहार करना है। ज्ञान-योग में रेस करके बाप के गले का हार बन जाना है। 2) नींद को जीतने वाला बन सवेरे-सवेरे उठ बाप को याद करना है। स्वदर्शन चक्र फिराना है। जो सुनते हैं उस पर विचार सागर मंथन करने की आदत डालनी है। वरदान:- सदा सेफ्टी की लकीर के अन्दर परमात्म छत्रछाया का अनुभव करने वाले मायाजीत भव बाप और आप'' यही सेफ्टी की लकीर है, यह लकीर ही परमात्म छत्रछाया है। जो इस छत्रछाया की लकीर के अन्दर है उसके पास माया आने की हिम्मत भी नहीं रख सकती। फिर मेहनत क्या होती, रूकावट क्या होती, विघ्न क्या होता - इन शब्दों से अविद्या हो जायेगी। सदा सेफ रहेंगे, बाप की दिल में समाये रहेंगे - यही सबसे सहज और तीव्रगति में जाने का वा मायाजीत बनने का पुरुषार्थ है। स्लोगन:- दिव्य गुणों के सर्व अलंकारों से सज़े सजाये रहो तो अहंकार आ नहीं सकता। #brahmakumaris #Hindi #bkmurlitoday

  • मुरली के शब्दों का अर्थ (Meaning of Words in Murli) Part 3 of 3

    Meaning of words said in Gyan Murli by Shiv baba - मुरली के शब्दों का यथार्थ अर्थ l - Part 3 of 3 मुरली शब्दकोष (Murli Dictionary) में रोज की साकार मुरलियो मे आने वाले कठिन शब्दों का अर्थ सरल हिन्दी शब्दों में समझाने का प्रयास किया गया है। कठिन शब्द को कोई परिभाषा नहीं दी जा सकती। देशकाल भाषा की समझ ज्ञान -स्तर में भिन्नता होने के कारण हर किसी के लिए कठिन और सरल शब्द का मापदण्ड अलग अलग हो सकता है।अतएव शब्दों के चुनाव में सामान्यीकरण (common guide for everyone) पर विशेष ध्यान दिया गया है। वर्तमान समय अनुसार मुरली में आये कठिन शब्दों के भावार्थ जानना आवश्यक हो जाता है। साकार मुरली के शब्दो पर यह हिन्दी स्पास्टीकरण आपके लिए उपयोगी साबित हो ऐसी आशा करते है। PART 1 of 3 - Murli Dictionary in Hindi * FORMAT * शब्द – सरल हिन्दी भाषा मे उसका अर्थ 121 . तकदीर को लकीर लगाना - भाग्य बनाने का सुअवसर खो देना 122 . ततत्वम् - तुम भी वही हो अर्थात तुम ही पूज्य थे और फिर तुम ही पुजारी बने। 123 . तत्‍ते तवे - गर्म तवे 124 . तत्त्वज्ञानी - जीवन/संसार के सार या मूल को जाननेवाला 125 . तदबीर - अभीष्ट सिद्धि करने का साधन/उक्ति/तरकीब/यत्न। 126 . तमोगुण - गुणों में सबसे निम्न स्तर (चार कला सम्पन्न कलियुग से/भारत मे अरबों के आक्रमण से शुरू) 127 . ताउसी तख्त - राज्य-भाग 128 . तिजरी की कथा - भक्ति मार्ग की सत्य नारायण की काल्पनिक कथा के मध्य में सुनाई जाने वाली कथा 129 . त्रिलोकीनाथ - तीनों लोकों का मालिक शिव परमात्मा 130 . दग्ध करो - खत्म करो 131 . दिलरूबा - वह जिसमें प्रेम किया जाए/प्‍यारा 132 . दिव्‍य चक्षु - ज्ञान का तीसरा नेत्र 133 . दुम - पूंछ, आत्मा के निकलते ही शरीर रुपी दुम छूट जायेगा 134 . दुस्‍तर - जिसे पार करना कठिन हो/ विकट/कठिन 135 . देवाला - जिसके पास ऋण चुकाने के लिये कुछ न बच गया हो/ जो सर्वथा अभाव की स्थिति में हो 136 . देही - देह को चलाने वाली/मालिक/आत्मा 137 . दो ताजधारी - संगमयुगी ब्राह्मण का और सतयुगी देवता दोनों के आभामंडल की लाइट का ताज धारण करना 138 . दोज़ख - नरक 139 . धणी - मालिक 140 . धरिया - धुरण्डी (होली के अगले दिन का एक त्यौहार) 141 . नंदीगण - बैल की प्रतिकृति जो शिवमन्दिर में होती है कलियुग अन्त में शिव बाबा जिन दो रथों/तन (ब्रह्मा बाबा व गुलजार दादी) का सहारा लेते हैं, यही नन्दीगण के प्रतीक 142 . नट शैल - सार रूप (सारांश) 143 . नब्ज देखना - जांच करना, सूक्ष्म चेकिंग करनी 144 . नम्बरवार - कोई होशियार कोई बुद्धू/क्रमोत्तर गिरती हुई स्थिति में होना। 145 . नष्टोमोहा - पुरानी दुनिया से मोह ममत्व का त्याग, निर्मोही स्थिति 146 . नामाचार - प्रसिद्ध/लोक विश्रुत 147 . नामी-ग्रामी - प्रसिद्ध करने वाला 148 . निधनके - जिसके माँ-बाप न हो 149 . निराकार सो साकार - साकार मे कर्म करते हुए अपने निराकार स्वरूप (stage) की स्मृति/याद में रहना 150 . निर्माण चित्त - जिसका मन निर्मल/साफ हो/निर्माण करने का जिसमें हृदय हो 151 . निर्लेप - जिस पर विकारों का लेप ना लगा हो/निर्विकारी स्थिति स्टेज 152 . निर्वाणधाम - आत्मा-परमात्मा का निवास स्थान/ब्रह्मलोक, मूलवतन भी कहते हैं 153 . निर्विकारी - विकार (बुराइयों) रहित (रजो, तमो से सम्बन्धित) 154 . निवृत्ति मार्ग - सांसारिक विषयों का किया जानेवाला त्याग, प्रवित्ति का अभाव होना, सांसारिक कार्यों के लगाव से परे 155 . नूँथ होना माला में पिरोया हुआ 156 . नूँध - पहले से लिखा हुआ 157 . नेष्टा - एक जगह शान्ति में बैठकर योग का अभ्‍यास कराना। वैसे नेष्‍ठा एक प्रकार की योग की अत्‍यन्‍त कठिन क्रिया है। नेष्‍ठ नेत्र और देहातीत बनाने वाली शक्‍तिशाली दृष्‍टि है। 158 . नैन चैन - आंख की हलचल व व्यवहार द्वारा 159 . नौंधा (नवधा भक्‍ति) - भक्‍तिमार्ग में भक्‍त ईश्‍वर का साक्षात्‍कार के लिये नौ प्रकार की भक्‍ति श्रवण, कीर्तन, स्‍मरण, पाद सेवन, अर्चन, वंदन, संख्‍य, दास्‍य और आत्‍मनिवेदन करता हुआ सर्वस्‍व ईश्‍वर पर न्‍यौछावर कर देता है। मुरली सन्‍दर्भ में भाव यह है कि तुम अपने सारे विकारों कादान कर शिव बाबा पर न्‍यौछावर होते हो जाओ तो तुम्‍हे भी साक्षात्‍कार होगा। 160 . न्यारा और प्यारा - सबसे न्यारा/अलग होते हुए भी सबका प्यारा होना 161 . पक्का महावीर - विजयी, सफल, दृढ़, सफलतामूर्त 162 . पत्थरना - थमाया/विकारों के वशीभूत 163 . पत्थरपुरी - कलियुगी/दिलोदिमाग पत्थर सदृश (पत्थर पूजे हरि मिले, तो.....) 164 . पथ प्रदर्शक - पैगम्बर/रास्ता दिखाने वाला/गाइड 165 . पदमापदम, पदमगुणा - गणित में सोलहवें स्थान की संख्या (१०० नील) जो इस प्रकार लिखी जाती हैं—१००,००,००,००,००,००,००० (१ नील - सौ अरब।) संगम पर किया हुआ पुराषार्थ पदमापदम/पदमगुणा फलदाई होता है। 166 . पद्मपति - जजअखुट सम्पत्ति (ज्ञान/योग/धन) का स्वामी 167 . परमधाम - आत्मा-परमात्मा का निवास स्थान 168 . परिस्तान - फरिश्तों की दुनिया/सतयुगी दुनिया 169 . पवित्रता - मन-वचन-कर्म से पावन, निश्छलता, स्वछता, चतुराई रहित, सरल, साफ, शुभ वृत्ति, शुभ विचार कामना या इच्छा रहित, निस्वार्थ 170 . पसारा - विस्‍तार से 171 . पाण्डव - जिनको ईश्वरीय नियम वा मर्यादाओं पर सम्पुर्ण निश्चय है और ईश्वरीय पार्ट को पहचान कर ईश्वरिय ज्ञान को जीवन मे धारण करते है वही सच्चे पांडव कहलाते है, परमात्मा भी इनके साथी बनते हैं। 172 . पारलौकिक - इस साकारी लोक या दुनिया से पार/बहुत दूर/सूक्ष्मलोक से भी ऊपर/दुनियावी रिश्तों से परे 173 . पारसनाथ - परमात्मा/पारस सदृश बनाने वाला 174 . पारसपुरी - स्वर्ग/सतयुग दिलोदिमाग जहाँ पारस पत्थर जैसा हो 175 . पित्र खिलाना - परम्परा से चली आ रही भारतीय रस्म जिसमें लोग मृत व्यक्ति की आत्मा को ब्राह्मणों के शरीर में आह्वान कर पितरों की इच्छाओं को पूरा करने का प्रयास किया जाता है । 176 . पुरूषार्थ - कर्म, वह मुख्य उद्देश्य या प्रयोजन जिसकी प्राप्ति या सिद्धि के लिए प्रयत्न करना आवश्यक और कर्त्तव्य हो। 177 . पैगामसन्देश 178 . पोतामेल - हिसाब-किताब, रोजनिशी, आत्मा जो मन वाणी कर्म द्वारा कार्य करे उसके रोज का हिसाब-किताब 179 . प्रकृतिस्व - भाव, तासीर, कुदरत। 180 . प्रजापिता - सभी मनुस्य आत्माओ का पूर्वज, जिनके द्वारा परमात्मा शिव रचना रचते है l ✣✣✣ Useful links ✣✣✣ PART 1 of 3 - Murli Dictionary in Hindi PART 2 of 3 - Murli Dictionary in Hindi Download of View Full PDF What is Murli? : https://www.brahma-kumaris.com/what-is-murli Revelations from Murli: https://www.brahma-kumaris.com/revelations हिन्दी मे 7 दिवसीय राजयोग कोर्स: https://www.brahma-kumaris.com/raja-yoga-course-hindi . #brahmakumari #brahmakumaris #Murli #Hindi

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